बुधवार, 1 दिसंबर 2010

प्रश्न विधानसभा का लेकिन जवाब सिम्स में!


प्रश्न विधानसभा का लेकिन जवाब सिम्स में!

छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य मंत्री और विपक्ष के विधायक की अनूठी पहल
दिनांक:- 29.11.2010
 बिलासपुर। भारतीय लोकतांत्रितक व्यवस्था में विधायिका की बैठकों में जन आवाजों की ऐसी सुनवाई की जाती है जिनका सीधा सरोकार जनसुविधा उपलब्ध कराना तो है लेकिन नक्कारखाने में तुतिया बजने की आवाज न हो तो पता कैसे चलेगा कि हमारे ऊपर सरकार भी है। सदन को नही चलने देना इन दिनों विपक्ष का नैतिक धर्म हो चला है इसके एवज में भले ही जनता की गाढी कमाई यू ही खर्च होती रहे और सदन को शीघ्र अतिशीघ्र निष्कर्ष प्रदान करना भी सत्ता पक्ष का परम कर्तव्य हो चला है, तथापि इन अटखेलियों के मध्य जनहित के निर्णय भी जनआवाजों की तरह लटक-लटक कर बहुमत के अधीन लिये जाते है और इसी पैर्ट्न पर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र भारत में आज केन्द्र व राज्य सरकारें अपनी ही गति से चल रही है। इसी बीच नव प्रफुल्लित छत्तीसगढ़ राज्य के दस वर्षो के अल्प कार्यकाल में ऐसा वाक्या कम ही देखने में आया है कि वर्तमान सामाजिक-लोकतांत्रिक शैली के प्रतिकूल लेकिन वास्तविक लोकतांत्रिक मायनों के अनुकूल आचरण हो। ऐसा उदाहरण छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल ने विधानसभा के आश्वासन समिति में तेजतर्रार विधायक ठा.धरमजीत सिंह द्वारा छत्तीसगढ़ आर्युविज्ञान चिकित्सा संस्थान (सिम्स) बिलासपुर के संबंध में उठाये गये प्रश्नों का जवाब माननीय विधायक के साथ विगत 28 नवम्बर रविवार को सिम्स का निरीक्षण करते हुये मौके पर दिया। विधायक महोदय ने खुशी जाहिर की कि मशीनों की खराबी एवं विविध प्रश्नों हेतु अपेक्षित सूचना संबंधी उनके प्रश्नों के प्रत्युत्तर में मरीज चिकित्सालय में स्वास्थ लाभ करते हुये मिले। सिम्स में पूछताछ केन्द्र, डॉक्टर्स के द्वारा निजी प्रेक्टिस किया जाना एवं जेनेरिक दवाइयों का प्रिसक्रेप्शन, पैथालाजी सेक्सन में गड़बड़ी, लिथोट्रेप्सी व मेमोग्राफी आदि मशीनों द्वारा इलाज की सुलभता और दक्ष कार्मिकों की स्थिति तथा सिम्स के जुनियर डॉक्टरों द्वारा आये दिन किये जा रहे दुर्व्यवहार आदि अनेक प्रश्नों का पुलिंदा उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री महोदय के समक्ष रखा था। निरीक्षण के दौरान मौके पर अमूमन सब ठीक ही रखा। इस मौके पर महत्वपूर्ण बात यह दिखाई देती है कि जनप्रतिनिधियों रूचि और सामान्जस्य से ही योजनाओं का क्रियान्वयन तथा जनसुविधाओं की सतत सुविधा सुलभ हो सकती है क्यों कि अमला चाहे सामान्ज्ञ हो या विशेषज्ञ, वह भारतीय ब्यूरोक्रेसी के स्वयं भू प्रतिमानो और व्यवहारों से ग्रसित है जिनके द्वारा नित नये स्वांग से चिकित्सालय भी नही बच पाये है। बहरहाल क्षेत्रीय विधायक को लेकर स्वास्थ्य मंत्री द्वारा अस्पताल प्रबंधन के साथ मौके पर समस्या निवारण के प्रयास से सिम्स प्रबंधन तथा आम नागरिकों के प्रति नये संदेश का प्रसार हुआ है जिसमें संभाग के सबसे बड़े छत्तीसगढ़ आर्युविज्ञान चिकित्सा संस्थान को नेतृत्व कर्ताओं द्वारा सतत पर्यवेक्षण व गुणवत्ता पूर्ण उपचार उपलब्ध कराना ही प्रथम और सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता जान पड़ती है और तभी विभिन्न .आधुनिक सुविधाओं से युक्त यह चिकित्सालय अपने वास्तविक उद्देश्यों को प्राप्त कर सकेगा। स्वास्थ्य मंत्री श्री अग्रवाल ने आम आदमी के बेहतर स्वास्थ हेतु स्वास्थ सेवाओं के विस्तार के लिये प्रतिबद्धता का मंत्र दोहराते हुये सिम्स में एमआरआई सुविधा की नई सौगात की घोषणा भी की गई तथा सिटी स्केन, सोनो ग्राफी, बायो केमेस्ट्री विभाग, आक्सीजन कक्ष, शिशु रोग विभाग, मलेरिया वार्ड आदि में चिकित्सा व्यवस्था को सुचारू बनाने हेतु प्रबंधन को निर्देशित करते हुये स्वास्थ सुविधाओं की बेहतरी तथा सबके सहयोग से सबके स्वास्थ्य के लिये आम नागरिकों एवं समाज सेवी संगठनों से सहभागिता का आव्हान किया। सिम्स में मंत्री और विपक्ष के विधायक द्वारा इस मौके का कतिपय वर्ग भले ही पूर्व-पश्चात निरीक्षण का चाहे जैसा विश्लेषण करें लेकिन इतना तय है कि सजग जनप्रतिनिधियों के सजग प्रयासों से ही जनसमस्याओं का निवारण तथा जनसुविधाओं की सहज सुलभता सुनिश्चित की जा सकती है। निश्चित रूप से दलीय आस्था से ऊपर उठकर ऐसा जमीनी प्रयास हमारे जनप्रतिनिधियों को सतत रूप से करना होगा।

2 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसा छत्तीसगढ़ के लिये गर्व की बात है. मुझे ऐसा लगता है की छत्तीसगढ़ के विधानसभा का इतिहास जब-जब पड़ा जायेगा तब-तब यह उदाहरण याद किया जायेगा.

    जवाब देंहटाएं
  2. बहुत अच्छी पहल..बहुत अच्छा पोस्ट.
    -पंकज झा.

    जवाब देंहटाएं