सोमवार, 20 दिसंबर 2010

सचिन का सफरनामा - साल 1989 से 2010-"सचिन है देश का अभिमान सचिन को मिलना चाहिए 'भारत रत्‍न' सम्मान"

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सचिन का सफरनामा - साल 1989 से 2010 
सचिन तेंडुलकर ने क्रिकेट के मैदान पर 21 साल पूरे कर लिए हैं। इन सालों में मुंबई के इस करिश्माई बल्लेबाज ने कई रिकार्डों को तोड़ा और कई नए कीर्तिमानों को खड़ा किया। साल 2010 में तो जैसे सचिन ने नया इतिहास लिखने की ठान रखी है। वर्ष का आगाज वनडे के ऐतिहासिक दोहरे शतक से और अंत टेस्ट क्रिकेट में शतकों के अर्धशतक से। आंकड़ों के आईने में कैसा रहा सचिन का सफरनामा, आइए इस पर डालते हैं एक नजर-
          1989 में गुजरांवाला (पाकिस्तान) से करियर की शुरुआत
  •  14 अगस्त, 1990 को मैनचेस्टर में इंग्लैंड के खिलाफ बनाया पहला शतक
  •  21 साल, 96वें शतक (50 टेस्ट, 46 वनडे)
  •  175 मैच, 286वीं पारी में पूरे किए 50 शतक
  •  56.86 की औसत से बनाए 14,502 रन
  •  किसके खिलाफ कितने शतक मारे
  • सर्वाधिक ऑस्ट्रेलिया- 11, श्रीलंका- 9, इंग्लैंड- 7, दक्षिण अफ्रीका- 6, बांग्लादेश- 5, न्यूजीलैंड- 4, वेस्टइंडीज और जिंबाब्वे- 3, पाकिस्तान- 2
  •  22 भारतीय पिचों पर, 28 विदेशी पिचों पर
  •  2010 में मारे 7 टेस्ट शतक
  •  इस साल दक्षिण अफ्रीका के साथ एक टेस्ट बाकी (26-30 दिसंबर), तोड़ सकते हैं 2006 में पाकिस्तान के मुहम्मद यूसुफ द्वारा एक कैलेंडर वर्ष में बनाए 1,768 रनों का रिकॉर्ड तोड़ सकते हैं।
  • 21 साल टेस्ट क्रिकेट खेलने के दौरान सचिन ने छह दोहरे शतक लगाए। हर बार उनसे उम्मीद की गई कि वे लारा को पछाड़ते हुए टेस्ट क्रिकेट में सर्वाधिक स्कोर बनाने वाले खिलाड़ी बनें। वनडे में वो ऐसा कारनामा (200* रन) कर चुके हैं। उनकी क्षमता और रनों की भूख को देखते हुए आश्चर्य नहीं होगा यदि वे लारा के रिकॉर्ड (400* रन)को पीछे छोड़ दें।
  • मास्टर ब्लास्टर टेस्ट मैचों (50) और वनडे में (46)शतक लगा चुके हैं। इस प्रकार टेस्ट और वनडे मैचों को मिलाकर अब तक 96 शतक ठोक चुके हैं। अब इंतजार उस दिन का है जब सचिन वनडे टेस्ट और वनडे मैचों को मिलकार 100वां शतक ठोंकेंगे।

ऐसे रही शतकों की अर्धशतकीय पारी
1990- पहला शतक
1996- दसवां
1999- बीसवां
2002- तीसवां
2008- चालीसवां
2010- पचासवां



"सचिन है देश का अभिमान सचिन को मिलना चाहिए  'भारत रत्‍न' सम्मान" -सचिन तेंडुलकर की 50वीं टेस्ट शतक की ऐतिहासिक उपलब्धि के बाद ही उनके और डॉन ब्रैडमैन के बीच यह बहस फिर से शुरू हो गई है कि दोनों क्रिकेटरों में से महान कौन है। ऑस्ट्रेलियाई अखबार द्वारा कराए जा रहे ऑनलाइन सर्वे में अभी तक सचिन बढ़त बनाए हैं, जबकि यह प्रक्रिया अभी जारी है।

‘सिडनी मार्निंग हेराल्ड’ ने अपने आनलाइन सर्वे में ‘सबसे महान क्रिकेटर- ब्रैडमैन या तेंडुलकर?’ लोगों को वोट करने के लिए कहा है जिसमें 1642 क्रिकेट प्रशंसकों ने अभी तक अपना मत दिया है जिसमें से तेंडुलकर को 63 प्रतिशत मत मिले हैं, जबकि इस ऑस्ट्रेलियाई महान क्रिकेटर के नाम 37 प्रतिशत वोट रहे हैं।

भारतीय समयानुसार यह सर्वे रात आठ बजे शुरू हुआ जो 18 घंटे में समाप्त हो जाएगा। अखबार में एक लेख के मुताबिक कई लोगों ने यह पूछा है कि क्या लिटिल मास्टर और ब्रैडमैन के बीच तुलना करना ठीक है क्योंकि दोनों अलग-अलग युग में खेले हैं।

क्रिकेट लेखक डेनियल लुईस ने पूछा कि तेंडुलकर की महानता काफी बढ़ गई है। 50 टेस्ट शतक जड़ने वाला पहला खिलाड़ी बनने के बाद यह बहस फिर से छिड़ गई है कि दोनों में से महान बल्लेबाज कौन है। क्या यह भारत के 37 वर्षीय मास्टर ब्लास्टर हैं या फिर ऑस्ट्रेलिया के दिवंगत सर डोनाल्ड ब्रैडमैन? क्या इन दो अलग-अलग युग के दो खिलाड़ियों के बीच तुलना करना उचित है?

लुईस ने कहा कि तेंडुलकर ने 16 वर्ष की उम्र से भारत का प्रतिनिधित्व शुरू कर दिया था और वह तभी से शानदार बल्लेबाजी कर रहे हैं। उन्होंने 1990 में अपने नौवें टेस्ट में अपना पहला शतक जमाया था। उनका 50वाँ शतक उनके 175वें टेस्ट में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सेंचुरियन मैदान पर बना है, जिससे वे अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी रिकी पोंटिंग से 11 शतक आगे हैं।

उन्होंने कहा कि उन्होंने 50वाँ टेस्ट शतक एक रन लेकर बनाया और आकाश की ओर सलामी देकर इसे अपने पिता को समर्पित किया। इस लेख में दोनों महान खिलाड़ियों के बीच की तुलना नंबर से कहीं आगे है।

उन्होंने कहा कि ब्रैडमैन ने 80 पारियों में 29 शतक बनाए हैं, जो प्रत्येक शतक 2.76 पारी के हिसाब से बना है। वहीं तेंडुलकर के 50 शतक 286 पारियों में बने हैं, जिससे प्रत्येक सैकड़ा 5.72 पारी में बना है। फिर इसमें औसत भी काम करता है। ब्रैडमैन का टेस्ट आँकड़ा 99.94 है, जो क्रिकेट आँकड़ों में सर्वश्रेष्ठ है, जबकि तेंडुलकर का औसत 56.89 है। 

दिसंबर 2010 में सचिन तेंडुलकर ने एक बार फिर इतिहास बनाया। लेकिन खेल के मैदान से बाहर। 20 करोड़ का विज्ञापन अनुबंध ठुकरा दिया। ठुकराया इसलिए क्योंकि वह विज्ञापन शराब कंपनी का था। यह उन आलोचकों को बताने के लिए काफी होगा, जिन्हें सचिन सिर्फ पैसे और अपने लिए खेलते नजर आते हैं।

इसी महीने उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में 50 वां शतक जड़ा। दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले टेस्ट में। जब एक छोर पर बल्लेबाज खड़े होने के लिए तैयार नहीं थे। सचिन डटे रहे। शतक जड़ दिया। भारत को पारी की हार से बचा नहीं पाए। लेकिन पारी ने फिर से दिल जीत लिया। हालांकि आलोचकों के फिर से वही आरोप कि अपने लिए खेले। लेकिन कहते हैं कि जो जिंदा है, निंदा उसी की होती है। सचिन को इन सबकी आदत हो चुकी है। अगर निंदा की परवाह करते तो ग्वालियर में इस वर्ष एकदिवसीय क्रिकेट में 200 रन नहीं बना पाते। वे वनडे में अब तक 46 शतक लगा चुके हैं। यानी, कुल 96 अंतरराष्ट्रीय शतक। 2011 में कई रिकॉर्ड उनके इंतजार में हैं।

क्यों रहेंगी निगाहें

अंतरराष्ट्रीय 100वां शतक कब लगाएंगे?एकदिवसीय मैचों में 50 शतक का?विश्वकप 2011 में उनके प्रदर्शन पर नजर।

बल्ले की परख

अगले वर्ष तक खुद को फिट रखना।

अभी भी साबित करना कि उनका बल्ला मुश्किल वक्त में भी चलता है।

उनकी उपस्थिति में भारत विश्वकप जीते।

1 टिप्पणी:

  1. "सचिन है देश का अभिमान सचिन को मिलना चाहिए 'भारत रत्‍न' सम्मान"
    आपने जो 2003 में यह अभियान छेड़ा था उसका बिगुल आप ने आज बजा दिया है आप को शुभकामनाये
    हम भी आपके इस अभियान में शमिल है

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