बुधवार, 1 दिसंबर 2010



छत्तीसगढ़ में स्वास्थ सुविधाऐं और बेहतर छत्तीसगढ़ का निर्माण!
बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में विकास और उपलब्धियों का नया दौर है। इस दौरान वर्ष 2009-10 में विकास दर की दृष्टि से नवप्रस्फूटित छत्तीसगढ़ राज्य ने ;11ण्49ःद्ध गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, तमिलनाडू, केरल सहित नवगठित राज्यों को पीछे छोड़ दिया है। छत्तीसगढ़ में उपलब्ध अकूत वन संपदा, खनिज संपदा, ऊर्जा एवं मानव संसाधन, उधोसंरचना के विकास, नवीन उद्योगो की स्थापना एवं उनके युक्ति संगत सदउपयोग की परिणति जनसुविधा और जनस्वास्थ की बेहतरी के बिना बेमानी है। स्वस्थ छत्तीसगढ़ के परिपेक्ष में सबके स्वास्थ के लिए बेहतर इंतजाम करना और गांवो तक स्वास्थ सुविधाएॅ पहुॅचाने के कार्य में पिछले 7 सालो में कल और आज का छत्तीसगढ़ स्वयं अपनी कहानी बताता है।
    वर्ष 2003 में स्वास्थ्य पर बजट 228 करोड़ रूपए का था, जो 2010 में 943.90 करोड़ रूपए का किया गया। छत्तीसगढ़ की 2 करोड़ जनता के स्वास्थ की बेहतरी हेतु 7 वर्षो में बजटीय प्रावधान में 400 प्रतिशत से ज्यादा वृद्धि की गयी है। बेहतर स्वास्थ सुविधाओं हेतु छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य केन्द्र, 17 जिला अस्पताल, 17 सिविल अस्पताल, 144 सामुदायिक विकास केन्द्र, 715 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 4776 उपस्वास्थ्य केन्द्र, 3 मेडिकल कॉलेज, 5 डेन्टल और 12 नर्सिग प्रशिक्षण कालेजों के माध्यम से स्वास्थ परिवार कल्याण और चिकित्सा केन्द्रो द्वारा आम आदमी के बेहतर स्वास्थ हेतु छत्तीसगढ़ सरकार ने आज विश्वसनीय छत्तीसगढ़ की नीव रखी है। साथ ही इस वर्ष 5 सामुदायिक स्वास्थ केन्द्र, 26 प्राथमिक स्वास्थ केन्द्र, 300 नये उपस्वास्थ केन्द्र खोले जा रहे है।
    वर्ष 2005 में आरंभ जननी सुरक्षा योजना के अंतर्गत शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर में कमी लाकर बेहतर स्वास्थ सुविधाओं को उपलब्ध कराने के प्रयासो के परिणाम स्वरूप ही छत्तीसगढ़ में पिछले वर्षो में शिशु मृत्यु दर 95 से घटकर 57 प्रति हजार और मातृ मृत्यु दर 407 से घटकर 335 प्रति लाख हो गई है, जिसे 2012 में क्रमशः 30 प्रति हजार और 100 प्रति लाख करने के लिए सरकार संकल्प बद्ध है। छत्तीसगढ़ में शिशु मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत 55 के निकट पहुॅच गई। राज्य में कुपोषित बच्चो के ईलाज के लिए 20 अस्पतालो और 5 सामुदायिक स्वास्थ केन्द्रो पोषण पुर्नवास केन्द्र स्वीकृत किए गए है। जुलाई 2008 से आरंभ मुख्यमंत्री बाल ह्दय सुरक्षा योजना द्वारा 1200 से अधिक दिल की बीमारी से ग्रसित बच्चो का निजी क्षेत्र के अनुबंधित अस्पतालो एस्कोर्ट, रामकृष्ण केयर (रायपुर), अपोलो (बिलासपुर), अपोलो (बीएसआर भिलाई) में सरकार द्वारा निःशुल्क आपरेशन कराया गया है। गरीब परिवार के मूक बधिर बच्चो के लिए डॉ.भीमराव अंबेडकर अस्पताल रायपुर में मुख्यमंत्री बाल श्रवण योजना के अंतर्गत काकलीयार इप्लाट हेतु गरीबी रेखा श्रेणी के बच्चो को 6 लाख और सामान्य श्रेणी के बच्चो के लिए 4 लाख रूपए का खर्च राज्य शासन द्वारा दिया जा रहा है। यहॉ ह्दय रोग के लिए निःशुल्क ऐंजियाग्राफी, किडनी के लिए हीमो डायलिसिस, केंसर के लिए कोबाल्ट मशीन और ब्रेकीथेरेपी, लीनियर एक्सीलेटर मशीन, बच्चो के लिए पीडियाट्रिक्स नियोनेटल केयर यूनिट्स, बर्न यूनिट, ट्रामा यूनिट, मार्डन ब्लड बैक, कलर डाप्लर, सिटी स्कैंन, एमआरआई, वेन्टिलेर, एण्डोरस्कोपिक सर्जरी यूनिट, जैसी मानक सुविधाए है जो किसी रोग के ईलाज हेतु आवश्यक होती है। संजीवनी कोष से 13 चिन्हाकिंत बीमारियों के ईलाज के लिए गरीबी रेखा श्रेणी के लोगो को आर्थिक सहायता दी जाती है एवं राष्ट्रीय स्वास्थ बीमा योजना के अंतर्गत गरीबी रेखा श्रेणी के परिवारो से पंजीकृत अस्पतालो में 1 वर्ष तक 30 हजार रूपए के निःशुल्क ईलाज की योजना में जून 2010 तक दस लाख 63 हजार परिवारो को स्मार्ट कार्ड जारी कर छत्तीसगढ़ ने पूरे देश में प्रथम स्थान पर है। सरकारी अस्पतालो की व्यवस्था में जनभागीदारी हेतु जीवनदीप समितियों द्वारा प्रबंधन की बेहतरी हेतु कार्य किए जा रहे है। जन स्वास्थ सुविधाओं के मद्देनजर जीवनदीप समितियां स्वास्थ विभाग की सर्वोच्च प्राथमिक्ता है। प्रदेश के विभिन्न अस्पतालों में 894 समितियों के माध्यम से समाज सेवी संगठनो और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की सहभागिता से स्वास्थ केन्द्रों का कायाकल्प इन समितियों के द्वारा किया जा रहा हैै। रोगियों के लिए मूलभूत सुविधाऐं उपलब्ध कराने के अलावा ये समितियां मल्टीटास्किंग पेटर्न पर काम कर रही है। दुर्ग जिले को रैबीज डैथ मुक्त बनाने, दंतेवाड़ा के चिकित्सा केन्द्र में निर्बाद बिजली अपूर्ति, नांदगांव अस्पताल में रोगियों के लिए धर्मशाला निर्माण, सिम्स बिलासपुर में जगमोहन सेवा कूंज, मरच्यूरी, ब्लड बैंक की स्थापना, पर्यावरण मानको के अनुरूप गार्डन निर्माण, कोरबा जिले में कम्प्यूटराईज ओपीडी का निर्माण, महासमुंद में 14 रूपए में पोष्टिक आहार, सायकल स्टैण्ड शैड निर्माण, एम्बुलेंस सेवा जैसे अनेक अतिरिक्त कार्यो को रोगियों के लिए बेहतर सुविधा उपलब्ध कराने हेतु जीवनदीप समितियां नाम मात्र के शुल्क पर कर रही है।
     प्रदेश में चिकित्सको की कमी को दूर करने मेडिकल कोर योजना के तहत् दूरस्थ क्षेत्रो के चिकित्सालयो चिकित्सक नर्सो की पदस्थापना पर 15 हजार की प्रोत्साहन राशि दी जा रही है। रायपुर मेडिकल कॉलेज की एम.बी.बी.एस. की 50 सीटे बढी है, तथा रायगढ़ में जल्द ही मेडिकल कॉलेज शुरू करने की योजना है।त्वरित चिकित्सा हेतु आंध्रप्रदेश के जीवीक समूह जो डायल 1098 एम्बुलेंस सेवा शुरू करने की मंजूरी दी गई है। प्रदेश में इमरजेंसी मेडिकल रिसपांस सर्विस की इस योजना के तहत् दो चरणो में 172 एम्बुलेंस शुरू की जावेगी। एम्बुलेंस में सभी जीवन रक्षक उपकरण दवाईयां पैरा मेडिकल स्टाफ उपलब्ध होगा। एम्बुलेंस के द्वारा मरीज को तत्काल निकट के अस्पताल में भर्ती किया जाएगा और पहले 24 घंटो के लिए किसी तरह का शुल्क नही होगा। एनएचआरएम और राज्य सरकार 60रू40 प्रतिशत में इस योजना का खर्च वहन करेगी। बिना किसी लाभ के संचालित इस सेवा को शुरू करने वाला छत्तीसगढ़ देश का 11वॉ राज्य होगा। जिसमें रायपुर स्थित कॉल सेंटर से स्थानीय बोली में भी कॉल रिसिव किये जाएंगे। इसके अंतर्गत दुर्घटना गंभीर चोट, ह्दय रोग श्वसन रोग, मधुमेह, मिर्गी आदि के मरीजो को एम्बुलेंस उपलब्ध कराई जाएगी।
    छत्तीसगढ़ में निजी मेडिकल कालेज खोलने के अलग से नीति बनाई जा रही है। नये एलोपेथिक चिकित्सा महाविद्यालयो की स्थापना के लिए निजी क्षेत्र के निवेश में प्रोत्साहन देने की नीति का अनुमोदन किया गया है। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रो के लोगो को स्थानीय स्तपर पर इलाज सुविधा के मद्देनजर सुपरस्पेशियलिटी अस्पतालो के साथ छोटे शहरो और विकासखंड मुख्यालयो का नर्सिग होम चिकित्सालयो की स्थापना में भी निजी-निवेश प्रोत्साहन की नीति को अनुमोदित किया गया है। छत्तीसगढ़ में निजी अस्पताल नर्सिंग होम, क्नीनिक और पैथालाजी लैब स्थापना के लिए लाइसेंस अनिवार्य किया गया है साथ ही चिकित्सको एवं चिकित्सक संस्थानो पर आए दिन दुर्व्यहार को रोकने के लिए दंड का भी प्रावधान किया गया है। स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार सदैव प्रयासरत् है। दवाइयों और चिकित्सा उपकरणों की खरीदी में गुणवत्ता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए तमिलनाडू की तर्ज पर चिकित्सा सेवा निगम के गठन किया जा रहा है। प्रदेश के भवन विहीन अस्पतालो में भवन निर्माण की कार्ययोजना है। इस वर्ष तीन एएनएम प्रशिक्षण केन्द्र और चार नर्सिग प्रशिक्षण केन्द्र भी खोले जा रहे है। आज ह्दय, कैंसर, किडनी सहित हर प्रकार के रोगो का ईलाज छत्तीसगढ़ में संभव है प्रदेश के शहर के साथ कस्बो, गांवो, मजरो-टोलो तक में बुनियादी स्वास्थ सुविधाएॅ उपलब्ध कराने के अलावा गंभीर रोगो से ग्रस्त मरीजो को अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएॅ छत्तीसगढ़ में उपलब्ध करायी जा रही है। छत्तीसगढ़ में स्वास्थ्य सूचकांको में पहले से आशातीत सुधार हुए है। इसी आधार पर छत्तीसगढ़ को देश का जेआरडी टाटा पापुलेशन अवार्ड भी मिल चुका है, आज ऐसी कोई बीमारी नही है जिसका ईलाज छत्तीसगढ़ में नही होता है। इसके पीछे सरकारी प्रयासो के साथ मितानिनो की भूमिका को नही भूलाया जा सकता, पूरे देश के लिए आशा अभियान की ये छत्तीसगढिया मितानिने 60 हजार की संख्या में स्वास्थ एवं परिवार कल्याण के राष्ट्रीय कार्यक्रमो में भागीदारी का छत्तीसगढ़ के स्वास्थ की बेहतरी में अपना भूमिका अदा कर रही है।
    वास्तव में आज छत्तीसगढ़ के विकास के आईनो को स्वास्थ सेवाओं की बेहतरी संर्वधन के लिए किए गए प्रयास, अभिनव योजनाऐं और प्रस्तावित नीति उसे जनस्वास्थोन्मुखी एवं लोकहितकारी स्वरूप प्रदान करते है। आज आवश्यकता इस बात की है छत्तीसगढ़ शासन की नीति को लागू करने के लिए प्रशासन के साथ समाज सेवी संगठन, जनप्रतिनिधीगण एवं आम नागरिक अपनी भागीदार सुनिश्चत करकें छत्तीसगढ़ राज्य के लोगों के बेहतर स्वास्थ और बेहतर जीवन के प्रयासों में भागीदार बनकर छत्तीसगढ़ के विकास को निरंतर दिशा दे।

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