काका जी को नमन
सांसद नंदकुमार साय ने कहा कि छोटे से छोटे कार्यकर्ता की बात ध्यान में रखने वाले लखीराम अग्रवाल हमारे सहयोगी, मित्र और पार्टी के विशेष रणनीतिकार रहे। उन्होंने पार्टी के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।उनका कहना हम बाबूजी से मार्गदर्शन लिया करते थे, ऐसे अवसर पर उनके बताए गये सुझाव और समाधान बेहद सटीक होते थे। कार्यकर्ताओं ने जिम्मेदारियों का निर्वहन करना उनसे सीखा है। उनका राजनीतिक जीवन सिद्धांतों भरा रहा, उन्होंने हमेशा अपने उच्च आदर्शों का पालन किया।बाबूजी जीवन जीने की कला सीखा गये, वे हर छोटे बड़े कार्यकर्ताओं को नाम से याद रखा करते थे। कार्यकर्ताओं को उनकी यह बात बेहद अच्छी लगती थी।बाबूजी ने हमें पार्टी के लिए निस्वार्थ भावना से काम करने की सीख दी है। उनका अमूल्य योगदान और उनके साथ बिताये हुए पल स्मरणीय है।स्व. लखीराम अग्रवाल को विचारक, कर्मप्रधान और मार्गदर्शक बताया।उन्होंने सभी को अपने आचरण और व्यवहार से प्रेरित किया है। चुनाव मैंनेजमेंट से लेकर संगठनात्मक कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार ,या फिर कोई सामजिक सरोकार का बिषय उन्हें हल करने में उन्हें महारत हासिल थी। पार्टी के प्रति उनका समर्पण कार्यकर्ताओं को हमेशा याद रहेगा। वे सदा ही प्रगति शील मायनो मे जीवन की उचाईयो मे उडान हेतु प्रेरणा पुंज प्रसरित करते रहे !मुझे लगता है कि वे आज के होते तो हमें इन उवाचो मे प्रेरित करते -
ब्रम्हाण्ड में ऊर्जा के अविरल स्त्रोत होते है । विचारों की संप्रेषणशीलता आकर्षण के सकारात्मक बनाम नकरात्मक प्रतीकों से मूर्त-रूप प्राप्त करती है । जीवन की सार्थकता प्रगतिशील प्रयासों में है, न कि रूढ़िवादी संदर्भो में । पं. विजय शंकर मेहता जी हनुमान चालीसा के माध्यम से जीवन प्रबंधों की व्याख्या इन्हीं मायनों में की है । हम सबके अद्धेय, परम पूज्यनीय छत्तीसगढ़ के पितृ पुरूष स्व. लखीराम जी अग्रवाल (काका जी) ऐसे ही जीवंत प्रतीक है, जिन्होंने विकास पथ पर नव छत्तीसगढ़ के सूर्य रश्मियों को ऊर्जा दी और वे सदैव हम सभी को कर्म पथ पर उड़ान का संदेश देते रहे उन्हीं की प्रेरणा को अपने शब्द में ‘‘ उड़ान की गतिशीलता शीर्षक’’ से व्यक्त करने का प्रयास कर रहा हूं ।
मुकेश अग्रवाल
"एक कहावत है कि एक चांद होता है और एक सूरज, तो काका जी के साथ भी कुछ ऐसा ही है. उनकी जीवन यात्रा ने छत्तीसगढ़ मे भाजपा को नई बुलंदियों तक पहुंचाया. वे हमारे बीच अमर रहेंगे"
काका जी की आज द्वितीय पुण्य तिथि है .आज से दो साल पहले बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिटल मे रात करीब ९ बजे वो हम सभी को छोड़ ईश्वरीय हो गए |हम सभी के लिए वे ऐसी अविरल उर्जा के स्त्रोत थे जिनकी प्रेरणा से जीवन के संघर्ष को धेर्य ,सहजता के साथ व्यतीत करने की सीख मिलती है | छत्तीसगढ़ में जनसंघ-भाजपा की इमारत को खड़े करने का श्रेय पूरी तरह से श्री अग्रवाल और उनके लम्बे समय के सहयोगी रहे कुशाभाऊ ठाकरे को जाता है. भाजपा का वर्तमान स्वरूप स्व. लखीराम जी काका जी की देन बताया जाता है किन्तु वे सदेव कार्य कर्ताओ की मेहनत को ही सहजता से इसका श्रेय देते रहे |उन्होंने जीवन भर चुनौतियों का सामना किया और पार्टी हित में समर्पित रहे।उन्होंने कार्यकर्ताओं को हमेशा एकजुट रहने के साथ संगठन मजबूत करने की प्रेरणा दी। उनका कुशल नेतृत्व पार्टी कार्यकर्ताओं को हमेशा उनकी याद दिलाता रहेगा। अनेक महत्वपूर्ण पदों पर उन्होंने जिम्मेदारियों का निर्वहन किया और कार्यकर्ताओं के मार्गदर्शक बने रहे।हम सबके अद्धेय, परम पूज्यनीय छत्तीसगढ़ के पितृ पुरूष स्व. लखीराम जी अग्रवाल (काका जी) ऐसे ही जीवंत प्रतीक है, जिन्होंने विकास पथ पर नव छत्तीसगढ़ के सूर्य रश्मियों को ऊर्जा दी और वे सदैव हम सभी को कर्म पथ पर उड़ान का संदेश देते रहे|काका जी के यात्रा के हर पहलु हमारे लिए प्रेरणा योग्य हैं। उनमें निर्णय लेने की अद्भुत शक्ति थी।उनका सादगीपूर्ण व्यवहार, जीवनशैली और स्नेह हमेशा सभी के मन में रहेगा, काकाजी सबके हृदय में बसे हैं। वे सभी के लिए समर्पण व अभिप्रेरण की प्रतिमूर्ति थे ।जीवन भर उन्होंने अपने परिवेश की हर इकाई मजबूत बनाने और अभिप्रेरित करने का का काम किया। उनका अमूल्य योगदान भारतीय जनता पार्टी के लिए मील का पत्थर साबित हुआ।
मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने उन्हें भारतीय जनता पार्टी के लिए प्रेरणास्त्रोत बताया और कहा कि पार्टी के पितृपुरूष स्व. लखीराम जी कार्यकर्ताओं के आदर्श हैं। उनका जीवन उपलब्धियों भरा रहा। शीर्ष पदों पर रहते हुए उन्होंने अपनी छोटी से छोटी जिम्मेदारी का निर्वहन किया और मध्यप्रदेश तथा छत्तीसगढ़ में हजारों कार्यकर्ताओं का निर्माण किया।
सांसद नंदकुमार साय ने कहा कि छोटे से छोटे कार्यकर्ता की बात ध्यान में रखने वाले लखीराम अग्रवाल हमारे सहयोगी, मित्र और पार्टी के विशेष रणनीतिकार रहे। उन्होंने पार्टी के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया।उनका कहना हम बाबूजी से मार्गदर्शन लिया करते थे, ऐसे अवसर पर उनके बताए गये सुझाव और समाधान बेहद सटीक होते थे। कार्यकर्ताओं ने जिम्मेदारियों का निर्वहन करना उनसे सीखा है। उनका राजनीतिक जीवन सिद्धांतों भरा रहा, उन्होंने हमेशा अपने उच्च आदर्शों का पालन किया।बाबूजी जीवन जीने की कला सीखा गये, वे हर छोटे बड़े कार्यकर्ताओं को नाम से याद रखा करते थे। कार्यकर्ताओं को उनकी यह बात बेहद अच्छी लगती थी।बाबूजी ने हमें पार्टी के लिए निस्वार्थ भावना से काम करने की सीख दी है। उनका अमूल्य योगदान और उनके साथ बिताये हुए पल स्मरणीय है।स्व. लखीराम अग्रवाल को विचारक, कर्मप्रधान और मार्गदर्शक बताया।उन्होंने सभी को अपने आचरण और व्यवहार से प्रेरित किया है। चुनाव मैंनेजमेंट से लेकर संगठनात्मक कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार ,या फिर कोई सामजिक सरोकार का बिषय उन्हें हल करने में उन्हें महारत हासिल थी। पार्टी के प्रति उनका समर्पण कार्यकर्ताओं को हमेशा याद रहेगा। वे सदा ही प्रगति शील मायनो मे जीवन की उचाईयो मे उडान हेतु प्रेरणा पुंज प्रसरित करते रहे !
ब्रम्हाण्ड में ऊर्जा के अविरल स्त्रोत होते है । विचारों की संप्रेषणशीलता आकर्षण के सकारात्मक बनाम नकरात्मक प्रतीकों से मूर्त-रूप प्राप्त करती है । जीवन की सार्थकता प्रगतिशील प्रयासों में है, न कि रूढ़िवादी संदर्भो में । पं. विजय शंकर मेहता जी हनुमान चालीसा के माध्यम से जीवन प्रबंधों की व्याख्या इन्हीं मायनों में की है । हम सबके अद्धेय, परम पूज्यनीय छत्तीसगढ़ के पितृ पुरूष स्व. लखीराम जी अग्रवाल (काका जी) ऐसे ही जीवंत प्रतीक है, जिन्होंने विकास पथ पर नव छत्तीसगढ़ के सूर्य रश्मियों को ऊर्जा दी और वे सदैव हम सभी को कर्म पथ पर उड़ान का संदेश देते रहे उन्हीं की प्रेरणा को अपने शब्द में ‘‘ उड़ान की गतिशीलता शीर्षक’’ से व्यक्त करने का प्रयास कर रहा हूं ।
उड़ान की प्रगतिशीलता....!
उड़ान में है प्रगतिशीलता, एक प्रगतिशील छलांग तो मारो रे !
रूढ़िवादी नहीं जीवनपथ, प्रगतिशील कर्म कर डालो रे !
जीवनपथ की शूलशिखा में जो पला बढ़ा है -2
सामाजिकता के आयामों में गिरके जो पुनः खड़ा है -2
जिसनें स्वर्णाभूषणों को त्याजा और पाहन तोड़ा है
जो पूंजीवाद रथ का घोड़ा नहीं जिसने खुद को हम सब से जोड़ा है
वह इस धरा मैं मरा नहीं
वह तो कृष्णामयी अमर है !
ढूढ़ रहा तू किसको खुद में तुझे कहॉं खबर है
कर्मरथ पर मरता नहीं है कोई, वह तो अजर है वह अमर है !
इसलिए,
राग विराग की बांहे छोड़ो, प्रेम-स्नेह का बल्ला संभालो रे
चट्टानों से दूध निकालो पर पानी तो बचा लो रे
है रूकी धार शिलाएॅं जहॉं, दो वृक्ष दो कोपल तो लगा लो रे
सूर्य ऋचाओं का अस्तित्व न तोड़ो, तारे बन टिमटिमा लो रे
उड़ान में है प्रगतिशीलता, एक प्रगतिशील छलांग तो मारो रे !
देखो ! देखो -कहीं उद्देश्य जन्म का निशीथ न हो पाए-2
मान-अभिमान का काल न हो जाए-2
आंतरिकता को जोड़ो घर -देश को संभालों रे
फंसा लोकतंत्र चौपायो में, कोई तो बाहर निकालो रे
उड़ान में है प्रगतिशीलता, एक प्रगतिशील छलांग तो मारो रे !
कहा गया है कि:-
प्रेम-स्नेह, सद्भाव सामंजस्य ही उड़ान की प्रगतिशीलता है
जैसा ऊपर - वैसा नीचे, जैसा अंदर-वैसा बाहर फूल खिलता है
सेल्फ प्रमोशन एवं छपास से दो दिन से ज्यादा का सुख नहीं मिलता है इसलिए,
तोड़ो-तोड़ो, तोड़ो-तोड़ो अहम, जागृत स्वयं को कर डालो रे,
उड़ान में है प्रगतिशीलता, एक प्रगतिशील छलांग तो मारो रे !
सोने की जंजीरों में जकड़ा जिसने खुद को
वह सोना का कहॉं-खरा-खरा है ?
धातुई होती है चुभन इसलिए
स्वर्णिम जीवन भी तकलीफों से भरा है ।
लेकिन कर्मपथ पर बढ़ने वाला, आप बताए वो कहॉं - मरा है, कहॉं मरा है ?
अतः मृत्यु शैय्या यदि मिले यमराज भी तो प्रगतिशील धक्का मारो रे,
जीवन के मैदान पर हर बाल में चौका-छक्का मारो रे,
उड़ान में है प्रगतिशीलता, एक प्रगतिशील छलांग तो मारो रे ।।
मुकेश अग्रवाल
काका जी
जवाब देंहटाएंहमारे बीच अमर रहेंगे"