मुकेश अग्रवाल
छत्तीसगढ़ राज्य की पारिस्थतकीय संरचना और भौगोलिक बनावट से वर्तमान चार मासों में मलेरिया एवं अन्य संक्रामक बीमारियों की संभावना क्लाइमेट ओरिएंटेड होती है।
छत्तीसगढ़ की लगभग 32 प्रतिशत आबादी अनुसूचित जनजाति तथा लगभग 12 प्रतिशत अनुसूचित जाति की है, 44 प्रतिशत हिस्सा वनों से परिपूर्ण है।विश्व स्वास्थ संगठन के अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष 300-500 मिलीयन मलेरिया के मामले होते है जिसमें 1 लाख से अधिक लोग मर जाते है। ज्यादातर मामले विकासशील एवं गरीब देशों में देखे गये है। सामन्यतः मलेरिया मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होता है लार ग्रंथियों के माध्यम से मलेरिया संक्रमण पीड़ित व्यक्ति के शरीर को प्रभावित करता है।
छ.ग. राज्य के उष्ण कटिबंधीय आर्द्र पतझड़ी जल वायु क्षेत्र के अंतर्गत प्रदेश के उत्तर व दक्षिण के इलाके आते है जिनमें मलेरिया जैसी संक्रामक बिमारियों का प्रभाव दिखाई देता है। धान की कटाई मिशाई के बाद ऋतु के परिवर्तन के संक्रमण काल में इन दिनों छत्तीसगढ़ के वनाचंल, आदिवासी, खेतिहर ग्रामीण इलाकों में इन दिनों मलेरिया रोग से प्रकोप की स्थिति है। विभिन्न अध्ययनों के अनुसार भारत के 10 प्रतिशत मलेरिया क्षेत्र छत्तीसगढ़ में आते है और पी.फाल्सीपेरम के संक्रमण के देश में मलेरिया क्षेत्र के 18 प्रतिशत मामले नोटिस किये गये है। मलेरिया नैदानिक रोग है उचित समय पर सर्तकता एवं उपचार से बीमारी को काफी हद तक रोका जा सकता है। मलेरिया एक गंभीर और घातक परजीवी के कारण होने वाली बिमारी है आम तौर पर सिर दर्द, मांस पेशियों में दर्द, उच्च बुखार, ठंड लगना और कभी-कभी मिचली उल्टी दस्त इसके सामान्य लक्षण है। मलेरिया से रक्तल्पता और आरबीसी के कारण पीलिया भी हो सकता है। मलेरिया परजीवी- पी.फाल्सीपेरम, पी.वैवाक्स, पी.ओवेल और पी मलेरिऐ प्रजातियों में से किसी व्यक्ति को सक्रमण कर सकते है। पी.फाल्सीपेरम परजाति के संक्रमण से मरीज की मौत भी हो सकती है।
छ.ग. राज्य के उष्ण कटिबंधीय आर्द्र पतझड़ी जल वायु क्षेत्र के अंतर्गत प्रदेश के उत्तर व दक्षिण के इलाके आते है जिनमें मलेरिया जैसी संक्रामक बिमारियों का प्रभाव दिखाई देता है। धान की कटाई मिशाई के बाद ऋतु के परिवर्तन के संक्रमण काल में इन दिनों छत्तीसगढ़ के वनाचंल, आदिवासी, खेतिहर ग्रामीण इलाकों में इन दिनों मलेरिया रोग से प्रकोप की स्थिति है। विभिन्न अध्ययनों के अनुसार भारत के 10 प्रतिशत मलेरिया क्षेत्र छत्तीसगढ़ में आते है और पी.फाल्सीपेरम के संक्रमण के देश में मलेरिया क्षेत्र के 18 प्रतिशत मामले नोटिस किये गये है। मलेरिया नैदानिक रोग है उचित समय पर सर्तकता एवं उपचार से बीमारी को काफी हद तक रोका जा सकता है। मलेरिया एक गंभीर और घातक परजीवी के कारण होने वाली बिमारी है आम तौर पर सिर दर्द, मांस पेशियों में दर्द, उच्च बुखार, ठंड लगना और कभी-कभी मिचली उल्टी दस्त इसके सामान्य लक्षण है। मलेरिया से रक्तल्पता और आरबीसी के कारण पीलिया भी हो सकता है। मलेरिया परजीवी- पी.फाल्सीपेरम, पी.वैवाक्स, पी.ओवेल और पी मलेरिऐ प्रजातियों में से किसी व्यक्ति को सक्रमण कर सकते है। पी.फाल्सीपेरम परजाति के संक्रमण से मरीज की मौत भी हो सकती है।
सूबे के संवेदनशील मुखिया डा.रमन सिंह के निर्देशानुसार स्वास्थ्य मंत्री अमर अग्रवाल एवं स्वास्थ का अमला युद्ध स्तर पर मलेरिया के निदान हेतु रणनीतिक ढंग से प्रयासरत् है। बीमारी की रोकथाम के लिये विकास खण्ड स्तर से लेकर राज्यस्तर पर सूचना तंत्र को मजबूत बनाने के निर्देश दिये गये है। गहन माॅनिटरिंग एवं सतत निर्देश सामान्यज्ञ एवं विशेषज्ञ स्तर पर दिये जा रहे है। मलेरिया से सावधानिया दवाओं का उपयोग और उपलब्धता के विषय में कार्य दल के माध्यम से बताया जा रहा है। गंभीर रूप से मलेरिया पीड़ित व्यक्ति के लिये अस्पतालों तक पहुॅच सुलभ कराने के लिये एम्बुलेंस की व्यवस्था की गई हैं एवं निजी एम्बुलेंस की स्थिति में भुगतान का खर्च भी सरकारी इकाईयों द्वारा सुनिश्चित किया गया है। मलेरिया की रोकथाम और बचाव के लिये आम जनमानस की सर्तकता एवं विभिन्न समाज सेवी संगठनों व स्वास्थ कार्यकर्ताओं द्वारा जागरूकता अभियान महत्वपूर्ण है। मलेरिया के गंभीर मरीज अस्पतालों तक पहुचे, उनका समय पर उपचार हो तथा प्रशिक्षित स्वास्थ कार्मिक बीमारी से बचाव के लिये व्यापक प्रचार-प्रसार करे ऐसे निर्देश स्वास्थ सचिव छत्तीसगढ़ द्वारा दिये गये है, जिनका पालन करना हम सभी का कर्तव्य है। सभी स्वास्थ मित्रों कार्यकर्ताओं को मलेरिया जाॅच तथा त्वरित संसाधन उपलब्ध कराये गये है। बीमारी की त्वरित रिपोर्ट प्राप्ति सुलभ करायी जा रही है। प्राथमिक स्वास्थ केन्द्रों, उपस्वास्थ केन्द्रों से लेकर जिला अस्पतालों में अतिरिक्त जाॅच कार्मिको की व्यवस्था के साथ निजी तकनीशियनों की सेवा हेतु अमला प्रयासरत है। मलेरिया जाच हेतु आर.डी.किट्स के 30000 बाक्स जिला इकाईयों को भेजा जा रहा है। मलेरिया की सूचना देने हेतु राज्य स्तर एवं जिलास्तर पर कंट्रोल रूम की व्यवस्था की गई है। आवश्यक दवाइयों की आपूर्ति सुनिश्चित कराई गयी है। गली-मोहल्लों में दवाओं का छिडकाव, प्रभावित क्षेत्रों में डोर टू डोर सर्वे किया जा रहा है, मेडीकेटेड मच्छरदानियों की प्रदायता सुनिश्चित की गई है, स्वास्थ केन्द्र में डेल्टामाईट्रिथन से मच्छरदानियों को पुनः उपचारित करने की सुविधा सुलभ कराई गई है। साथ ही अपेक्षाकृत कम प्रतिरोधक क्षमता वाले बुर्जुगों, बच्चों और गर्भवती महिलाओं क्लोरोक्वीनोन एवं एटीडी की गोलियों का वितरण किया जा रहा है। डीडीटी एवं अन्य प्रभावकारी कीट नाशक दवाओं का छिड़काव किया जा रहा है साथ ही दवाओं के मलेरिया परजीवी पर प्रभाविता का अध्यन हेतु नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ मलेरिया रिसर्च के अध्यन दल द्वारा अनुसंधान किया जा रहा है तथापि मलेरिया घातक एंव संक्रामक किस्म की मौसमी बीमारी है, नागरिको की सर्तकता एवं जागरूकता ही बचाव तथा विभिन्न विभागों का समन्वित प्रयास बचाव का सर्वश्रेष्ठ माध्यम हैं ग्रामीण अंचलों तथा शहरी इलाको के निर्धन बस्ती के निवासियों को मलेरिया के लक्षण की स्थिति में झांडफूक एवं अन्य उपायो की बजाय स्वास्थ केन्द्रो तक पहुॅचना चाहिए। जनसुविधाओं और जनसमस्या के मद्देनजर जनप्रतिनिधी चाहे वे स्थानीय स्तर के हो या उच्च स्तर, चाहे वे किसी भी दल के क्यूं न हो? प्रशासनिक अधिकारी चाहे स्वास्थ विभाग से हो या प्रशासन के किसी भी स्तर की इकाई से संबंधित हो जब तक दायित्व पूर्ण, संवेदनशील ढंग से क्रियान्वयन नही करेगे तो सारी की सारी रणनीतियाॅ एवं सुविधाए कागजों में रहेगी तथा मलेरिया से केजुएल्टी के आंकडे बढते जाएंगे। इन सब में पीडित व्यक्ति की उपचार हेतु मंशा, दवाओं का उचित सेवन तथा उचित उपचार केन्दों तक पीडित व्यक्ति को पहुॅचाना परिवार, मित्र समूह की नैतिक जिम्मेदारी है, इन दायित्वों के निर्वहन के बिना स्वास्थ लाभ असंभव है। अतः बचाव, उपचार, सर्तकता और जागरूकता के साथ स्वास्थ विभाग के अमलों के प्रयासों में सहभागिता देकर ही मलेरिया संक्रमण को दूर करने का सर्वश्रेष्ठ उपाय है और प्रत्येक नागरिक का यह नैतिक कर्तव्य भी है। मलेरिया इससे पहले जीवन के लिये खतरा बने मलेरिया परजीवी की जाच अनिवार्य तौर पर अवश्य करायें।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें