बुधवार, 29 दिसंबर 2010

16वें एशियाई खेल-अलविदा ग्वांग्झू

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खेलों की महाशक्ति चीन ने चमत्कृत कर देने वाले 16वें एशियाई खेलों के उद्‍घाटन समारोह की तरह शनिवार को इन खेलों के भव्य समापन समारोह से दुनिया को सम्मोहित कर दिया। एशियाई संस्कृति की मिलीजुली झलक से समापन समारोह हमेशा के लिए यादगार बन गया।

बारह नवंबर को यहीं उद्घाटन समारोह में चीन ने अपनी तकनीकी दक्षता दिखाई थी लेकिन आज चीन के इस दक्षिणी शहर की जनता ने अपने जोश से लोगों का मन मोह लिया। इन खेलों आयोजन से ग्वांग्झू के बुनियादी ढाँचे में अभूतपूर्व सुधार हुआ जहाँ भारत ने पदक के लिहाज से एशियाई खेलों का अपना अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया।

भारत 14 स्वर्ण, 17 रजत और 33 काँस्य पदक सहित रिकॉर्ड 64 पदक जीतकर छठे स्थान पर रहा। इसके साथ ही उसने 1982 में दिल्ली एशियाई खेलों में जीते 57 पदकों के आँकड़े को भी पीछे जोड़ दिया।

समापन समारोह का इस्तेमाल मेजबान देश ने महाद्वीप की सांस्कृति विरासत की झलक पेश करने के लिए भी किया जिसमें दक्षिण एशियाई का प्रतिनिधत्व करते हुए भारतीय गायकों रवि त्रिपाठी और तान्या गुप्ता ने दर्शकों का दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

मेजबान चीन इन खेलों में वैश्विक खेल महाशक्ति के अपने सिंहासन को बरकरार रखते हुए 199 स्वर्ण सहित 400 से भी अधिक पदक जीतकर चोटी पर रहा। कोरिया चीन से काफी पीछे दूसरे स्थान पर रहा जबकि जापान ने तीसरा स्थान हासिल किया।

समापन समारोह में किलिंग (सौभाग्य का प्रतीक जानवर) के नृत्य ने सभी को हैरान किया जबकि एक्रोबैटिक्स और नृत्य के साथ खेलों की सफलता का जश्न मनाया गया।

नृतकों ने इस दौरान ‘ड्रैगन ड्रंक ऑन द पर्ल रीवर’, ‘पेंटिंग ऑफ टॉय फिगरिंग इन इमोशन’ और ‘विंड ऑफ याओ एथेनिक ग्रुप’ पर नृत्य पेश किया जबकि घोंघे के आकृति वाली स्क्रीन पर एशियाई खेलों के मैदान पर हुई प्रतिस्पर्धा की झलक दिखाई गई।

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इसके बाद चीन के राष्ट्रपति हू जिंताओ और एशियाई ओलिंपिक परिषद के प्रमुख शेख अहमद अल फहद अल सबाह ने चीन के मिल्रिटी बैंड की धुन के बीच आयोजन स्थल में प्रवेश किया। पाँच सितारों वाला चीन का लाल ध्वज देश के राष्ट्रीय गीत के साथ फहराया गया। सेना के बैंड ने राष्ट्रगान की धुन निकाली।

इसके बाद सांस्कृतिक कार्यक्रम शुरू हुआ जिसमें सपनों जैसा माहौल तैयार किया गया जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। तेजी से बदलते रंगों और पानी में तैरती आकृतियाँ किसी परीकथा से कम नहीं थे।

मुस्कराते बच्चे का चेहरा अवतरित हुआ तो लोगों की साँसे थम गई क्योंकि कुछ देर बाद ही वह एक करोड़ की जनसंख्या वाले इस शहर की प्रतिनिधित्व करने वाली खूबसूरत बालिका बन गई जो रात में सितारों के बीच चाँद जैसी जगमगा रही थी।

उसने जैसे ही अपने हाथ फैलाए सभी तारे और चाँद भी उसके हाथों में आ गए । उसने फिर इन्हें केंद्र में खेलों के मशाल टॉवर की तरफ इन्हें फेंका। जैसे ही वे मैदान पर गिरे कई तरफ से बच्चों ने आकर एशियाई खेलों का प्रतीक बनाया।

आधे चंद्रमा की शक्ल वाले जहाज पर बच्चे गा रहे थे और वह आगे तैर रहा था। इस बीच सैकड़ों गायक अपने हाथों में सितारों को लेकर दो तरफ से चार समूहों में अवतरित हुए। एक युवा गायक ने अपने हाथ में लिंगनान शैली की लालटेन पकड़ रखी थी जिसे बांस से बनाया गया था।

इसके तुरंत बाद कई रंगों का प्रकाश ने दृश्य को रंगीन बना दिया। बच्चों के हाथों में ये प्रकाश यंत्र थे जो वे इस तरह से इनको चमका रहे थे मानो समुद्र से प्रकाश निकल रहा हो।

भारत की प्रस्तुति इसके बाद पेश की गई जिसमें पवित्र नदी गंगा नाव के आकार की स्क्रीन पर अवतरित हुई। गंगा को भारत के कई प्रमुख मंदिरों से गुजरते हुए दिखाया गया। स्क्रीन पर इस बीच ताज महल और आधुनिक वास्तुकला की छवि भी देखने को मिली।

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काई युशान और शी चुहांग की अगुआई में कई नृतकों ने रवि और तान्या के गानों पर कदम थिरकाए जबकि खेलों की मशाल की मीनार के समीप पेश किए गए मोटरसाइकिल स्टंप साँस रोक देने वाले थे। भारतीय फूलों के बाद सौ पुरुषों ने दो समूहों में नृत्य किया जबकि इस दौरान उनके आगे बाइक पर हैरतअंगेज स्टंट चलते रहे।

जब दोनों भारतीय गायक गाते हुए आगे की ओर आए तो पुरुष नृतकों ने मशाल की मीनार के दोनों और दौड़ते हुए त्रिकोण बनाया जबकि लगभग 200 महिला नृतकों ने दो समूहों में भारत की विभिन्न नृत्य शैलियों को पेश किया। पुरुष और महिला नृतकों ने इसके एक साथ मिलकर बॉलीवुड शैली के नृत्य पेश किए।

एशियाई खेलों में खिलाड़ियों के प्रदर्शन और पदक समारोहों की झलक दिखाए जाने से पहले महाद्वीप के अन्य क्षेत्रों के कलाकारों ने भी सांस्कृतिक छठाएँ बिखेरी।

सांस्कृतिक कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने मंच पर गाते और नाचते हुए विभिन्न मानव आकृतियाँ बनाई। इसके बाद खिलाड़ियों के आने के साथ समारोह का औपचारिक कार्यक्रम शुरू हो गया।

भारतीय तिरंगा झंडा स्वर्ण पदक विजेता मुक्केबाज विजेंदरसिंह थामे हुए थे। विजेंदर ने झंडा बाएँ हाथ से पकड़ा हुआ था क्योंकि उनके दाएँ हाथ के अँगूठे में शनिवार रात फाइनल बाउट के दौरान चोट लग गई थी।

ओसीए अध्यक्ष शेख अल सबाह ने चीनी ओलिंपिक समिति के अध्यक्ष लियु पेंग, एशियाई खेलों की आयोजन समिति के कार्यकारी अध्यक्ष हुआंग हुआहुआ ओर ग्वांग्झू के मेयर वान किंगलियांग के साथ मिलकर मुख्य भाषण दिया और 16वें एशियाई खेलों के समापन की घोषणा की।

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ओसीए का झंडा नीचे किए जाने के बाद ‘ओसीए थीम’ बजाई गई जिसके बाद वर्ष 2014 के मेजबान देश दक्षिण कोरिया के राष्ट्रीय ध्वज को फहराया गया। इस मौके पर कोरियाई ओलिंपिक समिति के उपाध्यक्ष और इंचियोन खेलों की आयोजन समिति के प्रमुख मौजूद थे।

ग्वांग्झू मेजर किंगलियांग ने एशियाई खेलों की मशाल ओसीए प्रमुख को सौंपी जिसके बाद उन्होंने इसे फिर इंचियोन के मेयर को दे दिया। इसके बाद दिल्ली में 1951 में पहले एशियाई खेलों में फहराए गए ध्वज और ओसीए ध्वज को कोरियाई प्रतिनिधियों को सौंपा गया।

कोरिया ने मार्शल आर्ट्स ताइक्वांडो सहित कई अन्य कार्यक्रम प्रस्तुत किए और इस दौरान स्क्रीन पर ‘वेलकम ट्र इंचियोन’ और ‘सी यू एट इंचियोन इन 2014’ लिखा था। समापन समारोह के अंत में आयोजन स्थल पर जबर्दस्त आतिशबाजी हुई जिससे पूरा आकाश रंगीन रोशनी से जगमगा उठा।
एथलीटों, मुक्केबाजों और टेनिस खिलाड़ियों के एशियाई खेलों के अंतिम सात दिन में बेहतरीन प्रदर्शन से भारत हर चार साल में होने वाले खेल महाकुंभ में अब तक के सर्वाधिक पदक जीतने में सफल रहा।

भारत ने कुल 14 स्वर्ण, 17 रजत और 33 काँस्य पदक सहित कुल 64 पदक जीते और इस तरह से दिल्लीमें 1982 में जीत गए 57 पदक के अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़कर इतिहास रचा। 

पदक तालिका में छठा स्थान भारत का 1986 में सोल एशियाई खेलों के बाद सर्वश्रेष्ठ है लेकिन तब कजाखस्तान, उज्बेकिस्तान और पूर्व सोवियत संघ के देश नहीं हुआ करते थे जिनके आने से मुकाबला और कड़ा हो गया है। कजाखस्तान तो पदक तालिका में भारत से ऊपर रहा। भारत सोल में पाँच स्वर्ण, नौ रजत और 23 काँस्य लेकर पाँचवें स्थान पर रहा था।

इसके बाद भारत कभी आठ से ऊपर नहीं पहुँचा पाया। बीजिंग में 1990 में तो वह केवल एक स्वर्ण पदक जीत पाया था और 12वें स्थान पर रहा था। भारत के 64 पदक हालाँकि पिछले महीने राष्ट्रमंडल खेलों के 101 पदक के सामने काफी कम हैं जिसमें 38 स्वर्ण पदक भी शामिल हैं।

लेकिन राष्ट्रमंडल खेलों के तुरंत बाद ही एशियाई खेल शुरू हो गए और इसमें मुकाबला भी काफी कड़ा था तथा प्रतियोगिताएँ भी अधिक थी। मेजबान चीन ने लगभग 200 स्वर्ण जीते और 1990 के अपने रिकॉर्ड 183 स्वर्ण, 107 रजत और 51 काँस्य पदक सहित 341 पदक के रिकॉर्ड को पीछे छोड़ने में सफल रहा।

भारत के निशानेबाज और पहलवान बुरी तरह असफल रहे जबकि एथलीट, मुक्केबाज, टेनिस खिलाड़ी सोमदेव देववर्मन तथा महिला व पुरुष कबड्डी टीम ने चमकदार प्रदर्शन किया।

तीरंदाज तरूणदीप राय ने भारत को रजत के रूप में पहला व्यक्तिगत पदक दिलाया जबकि ताखड़ ने अपनी स्पर्धा में उधार ली हुई नाव से भारत को पहला स्वर्ण पदक दिया। जिमनास्ट आशीष कुमार ने फ्लोर स्पर्धा में देश को पहला काँसा दिलाकर इस सफलता की शुरुआत की और तैराक वीरधवल खाड़े का प्रदर्शन भी यादगार रहा।

खाड़े ने पुरुष 50 मी बटरफ्लाई का काँसा जीतकर 1986 सोल खेलों के बाद पूल में भारत को पहला पदक दिलाया। तब खजान सिंह टोकस ने 200 मी फ्लाई में रजत पदक जीता था। भारत ने चीनी मार्शल आर्ट वुशु जैसे खेल में भी चार काँसे अपने नाम किए, जो देश में काफी कम खेला जाता है जबकि एशियाई खेलों में पहली बार शामिल हुए रोलरस्केटिंग में भी भारत ने दो काँस्य जीते।

फ्रीस्टाइल पहलवानों के सुपर फ्लाप शो के अलावा पुरुष हाकी टीम भी तीसरे स्थान पर रही, जिससे स्वर्ण पदक की उम्मीद की जा रही थी। राष्ट्रमंडल खेलों में दो स्वर्ण जीतने वाली महिला बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल भी फ्लाप सूची में शामिल रहीं। चौदह स्वर्ण में से एथलीटों ने सर्वाधिक पाँच जबकि मुक्केबाजी, टेनिस और पुरुष तथा महिला कबड्डी में दो दो सोने के तमगे हासिल किए।

पंकज आडवाणी (बिलियर्डस) ने भारत को यहाँ पहला स्वर्ण दिलाया, जिसके बाद शीर्ष निशानेबाज रोंजन सोढी और रोअर बजरंग लाल ताखड़ ने पहला स्थान हासिल किया। अश्विनी चिदानंदा महिला 400 मी बाधा दौड़ और चार गुणा 400 मी रिले में दो स्वर्ण पदक जीतकर एथलेटिक्स की नयी ‘गोल्डन गर्ल’ बन गई।

अनुभवी धाविका प्रीजा श्रीधरन और सुधा सिंह ने महिलाओं की क्रमश: 10,000 मी. और 3,000 मी. में स्वर्ण जीते। केरल के जोसफ अब्रहाम ने 28 साल के बाद देश को बाधा दौड़ का पहला पदक दिलाया। इससे पहले 1982 एशियाड में चार्ल्स ब्रोमियो ने 800 मीटर बाधा दौड़ में पदक जीता था।

एथलेटिक्स में भारत ने पाँच स्वर्ण, दो रजत और चार काँस्य पदक जीते जो अब तक का दूसरा सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है इससे पहले इन खेलों में भारत का एथलेटिक्स स्पर्धाओं में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 2002 बुसान खेलों में रहा था जहाँ उसने सात स्वर्ण छह रजत और पाँच काँस्य सहित 17 पदक जीते थे।

भारतीय स्टार मुक्केबाज विजेन्दर ने भारतीय अभियान को एक नयी चमक दी। उन्होंने दो बार के विश्व चैम्पियन उज्बेकिस्तान के अब्बोस एतोव को हरा कर स्वर्ण पदक जीता।

युवा मुक्केबाज विकास कृष्ण ने 60 किलो वर्ग में सबसे बड़ा उलटफेर करते हुए खिताब जीता। लंदनओलिम्पिक खेलों में स्वर्ण पदक जीतने का सपना देख रहे विश्व जूनियर और युवा ओलिम्पिक चैम्पियन विकास के शानदार प्रदर्शन से भारत ने मुक्केबाजी (महिला और पुरुष) में कुल दो स्वर्ण, तीन रजत और चार काँस्य पदक जीते। पुरुष मुक्केबाज सुरंजय सिंह (52 किलो) और पाँच बार की महिला विश्व चैम्पियन एमसी मरीकाम से स्वर्ण पदक की उम्मीद थी, लेकिन वे ऐसा नहीं कर सके।

टेनिस में त्रिपुरा में जन्में युवा खिलाड़ी सोमदेव ने एकल के अलावा युगल मुकाबले का स्वर्ण खिताब जीता। सोमदेव ने एक सप्ताह में 15 मैच खेले जो बहुत बड़ी उपलब्धि है। टेनिस में भारत ने दो स्वर्ण, एक रजत और दो काँस्य पदक जीते।

दो बार के पूर्व विश्व चैम्पियन पंकज आडवाणी ने एक बार फिर स्वर्ण पदक जीत कर भारत को इन खेलों में पहले दिन अच्छी शुरुआत दिलाई जबकि इसके बाद निशानेबाज सोढी ने पुरुषों का ट्रैप खिताब और फिर अप्रत्याशित स्वर्ण पदक नौकायन में ताखड़ ने दिलाया।

WD
भारत ने शुक्रवार को पदकों की झड़ी लगाकर किसी एक एशियाई खेल में सर्वाधिक पदक जीतने का अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया।

भारत ने शुक्रवार को चार स्वर्ण, तीन रजत और चार काँस्य समेत कुल 11 पदक जीते जिससे उसके कुल पदकों की संख्या 64 पर पहुँच गई है, जो अब तक का उसका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। भारत ने अब तक 14 स्वर्ण, 17 रजत और 33 काँस्य पदक जीते हैं।

इससे पहले भारत ने नयी दिल्ली में 1982 में हुए नौवें एशियाई खेलों में 13 स्वर्ण पदक सहित 57 पदक जीते थे जो ग्वांग्झू से पहले उसका पदकों के लिहाज से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। भारत ने हालाँकि किसी एक एशियाई खेलों में सबसे अधिक स्वर्ण पदक 1951 में ई दिल्ली में ही पहले खेलों में जीते थे। भारत तब 15 स्वर्ण सहित 51 पदक जीतने में सफल रहा था।

दोहा में चार साल पहले हुए एशियाई खेलों में भारत ने दस स्वर्ण सहित 53 पदक जीते थे। इसके अलावा उसने 1962 में जकार्ता एशियाई खेलों में 12 स्वर्ण समेत 52 पदक जीते थे।

हैं। इनके अलावा भारतीय दल में 127 कोच, 44 मैनेजर, 8 डॉक्टर, 7 फिजियोथेरेपिस्ट समेत कई अन्य तकनीकी और सरकारी प्रतिनिधि भी शामिल हैं।

चीन एशियाड का 16वाँ पड़ाव है। इस प्रसंग पर एशियाड के अतीत पर एक नजर डाली जाए - 

1951 नई दिल्ली : पहले एशियाई खेल 4 से 11 मार्च 1951 के बीच नई दिल्ली में आयोजित हुए थे। ये खेल पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार 1950 में होने थे मगर तैयारियों में देरी के चलते इन्हें 1951 तक के लिए टाल दिया गया। हालाँकि जापान को लंदन में 1948 में हुए ओलिम्पिक में हिस्सा लेने नहीं दिया गया था और एशियाई खेल महासंघ की संस्थापक बैठक में भी वो शामिल नहीं हुआ, मगर इन खेलों में उसने हिस्सा लिया। इन खेलों का उद्‍घाटन देश के पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने किया था।

1954 मनीला : दूसरे एशियाई खेल फिलीपीन्स की राजधानी मनीला में एक से नौ मई 1954 के बीच आयोजित हुए। इन खेलों के उद्‍घाटन की घोषणा राष्ट्रपति रैमन मैगसायसाय ने की थी और ये रिजाल मेमोरियल स्टेडियम में आयोजित हुए।

1958 टोकियो : तीसरे एशियाई खेलों का आयोजन जापान की राजधानी टोकियो में हुआ। 24 मई से एक जून 1958 के बीच ये आयोजन हुआ, जिसमें 20 देशों के 1820 एथलीट्स ने 13 स्पर्धाओं में हिस्सा लिया। पिछली बार के मुकाबले इस बार पाँच स्पर्द्धाएँ ज्यादा थीं। एशियाई खेलों में पहली बार मशाल की परंपरा भी शुरू की गई।

1962 जकार्ता : चौथे एशियाई खेल 24 अगस्त से चार सितंबर 1962 के बीच इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता में आयोजित हुए। इसराइल और ताइवान के एथलीट्स इन खेलों में हिस्सा नहीं ले सके। अरब देशों और चीन के दबाव के चलते इंडोनेशिया सरकार ने इसराइली और ताइवानी प्रतिनिधियों को वीजा देने से इनकार कर दिया। 16 देशों के 1460 एथलीट्स ने एशियाड में हिस्सा लिया और बैडमिंटन इन खेलों में शामिल किया गया। राष्ट्रपति सुकर्णो ने इन खेलों के उद्‍घाटन की घोषणा की थी।

1966 बैंकॉक : पाँचवें एशियाई खेल नौ से 20 दिसंबर 1966 के बीच थाईलैंड की राजधानी बैंकॉक में आयोजित हुए। ताइवान और इसराइल की खेलों में वापसी हुई। कुल 18 देशों के ढाई हजार एथलीट और अधिकारी इन खेलों में शामिल हुए। महिलाओं के वॉलीबॉल को इन खेलों में शामिल किया गया। थाईलैंड के महाराज भूमिबोल अदुल्यदेज ने इन खेलों का उद्‍घाटन किया था।

1970 बैंकॉक : छठे एशियाई खेल 24 अगस्त से चार सितंबर 1970 के बीच बैंकॉक में ही आयोजित हुए। शुरुआती योजना के मुताबिक़ दक्षिण कोरिया के सोल को इसका आयोजन करना था मगर उत्तर कोरिया से सुरक्षा को धमकी को देखते हुए उसने दावेदारी छोड़ दी। 18 देशों के 2400 एथलीट्स और अधिकारी इन खेलों में शामिल हुए। यॉटिंग पहली बार इन खेलों में शामिल हुआ और एक बार फिर भूमिबोल अदुल्यदेज ने खेलों का उद्‍घाटन किया।

1974 तेहरान : सातवें एशियाई खेल एक से 16 सितंबर 1974 के बीच ईरान की राजधानी तेहरान में आयोजित किए गए थे। इन खेलों के लिए आजादी खेल परिसर बनवाया गया था और पहली बार मध्य पूर्व के किसी देश ने इसका आयोजन किया। तेहरान में हुए इस आयोजन में 25 देशों के 3010 एथलीट शामिल हुए जो कि खेलों की शुरुआत से लेकर तब तक का सबसे बड़ा आयोजन साबित हुआ।

तलवारबाज़ी, जिम्नास्टिक्स और महिलाओं का बास्केटबॉल इन खेलों में शामिल हुआ। फ़लस्तीन से ख़तरों को देखते हुए सुरक्षा की ज़बरदस्त व्यवस्था की गई थी। मगर ये खेल राजनीति का भी शिकार हुए क्योंकि अरब मूल के देशों, पाकिस्तान, चीन और उत्तर कोरिया ने इसराइल के विरुद्ध टेनिस, तलवारबाज़ी, बास्केटबॉल और फ़ुटबॉल के मुकाबलों में उतरने से इनकार कर दिया।

1978 बैंकॉक : आठवें एशियाई खेल नौ से 20 दिसंबर 1978 के बीच बैंकॉक में ही आयोजित हुए। बांग्लादेश और भारत के साथ तनाव के बाद पाकिस्तान ने एशियाई खेलों के आयोजन की योजना छोड़ दी। सिंगापुर ने वित्तीय कारणों से खेलों का आयोजन करने से मना कर दिया। इसके बाद एक बार फिर थाईलैंड ने मदद की पेशकश की और खेल बैंकॉक में आयोजित हुए। राजनीतिक कारणों से इसराइल को खेलों से बाहर कर दिया गया। 25 देशों के 3842 एथलीट इसमें शामिल हुए और तीरंदाज़ी के साथ ही बोलिंग को खेलों में शामिल किया गया।

1982 नई दिल्ली : नौवें एशियाई खेल 19 नवंबर से चार दिसंबर 1982 के बीच नई दिल्ली में आयोजित हुए। पहले खेलों के बाद दूसरी बार दिल्ली ने ये खेल आयोजित किए। ये एशियाई खेल एशियाई ओलिम्पिक परिषद के नेतृत्त्व में हुए। एशियाई खेल महासंघ को भंग करके ही एशियाई ओलिम्पिक परिषद का गठन हुआ। 33 देशों के 3411 एथलीट खेलों में शामिल हुए। घुड़सवारी, गोल्फ, हैंडबॉल, नौकायन और महिलाओं की हॉकी इन खेलों में शामिल हुआ।

इससे पहले के खेलों में जापान सर्वाधिक पदक जीतने वाला देश था मगर इन खेलों में पहली बार चीन ने जापान की जगह ले ली और उसके बाद से उसे कोई हटा नहीं सका है। इन खेलों की तैयारी में भारत में बड़े पैमाने पर रंगीन टेलिविजन का प्रसार हुआ। इन खेलों का शुभंकर अप्पू नाम का हाथी था। राष्ट्रपति जैल सिंह ने खेलों का उद्‍घाटन किया, पीटी उषा ने खिलाड़ियों की ओर से शपथ ली और ये खेल जवाहर लाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित किए गए थे।

1986 सोल : दसवें एशियाई खेल 20 सितंबर से पाँच अक्टूबर 1986 के बीच दक्षिण कोरिया के सोल में आयोजित किए गए। इन खेलों में 27 देशों के 4839 एथलीट्स शामिल हुए और कुल 25 स्पर्धाओं में पदक बाँटे गए। जूडो, ताइक्वांडो, महिलाओं की साइक्लिंग और महिलाओं की निशानेबाजी को इन खेलों में शामिल किया गया। इन खेलों में 83 एशियाई रिकॉर्ड और तीन विश्व रिकॉर्ड टूटे। पीटी उषा इन खेलों की स्टार एथलीट थी जिन्होंने चार स्वर्ण और एक रजत पदक जीता। दक्षिण कोरिया ने जापान को हटाकर पदक तालिका में दूसरा स्थान हासिल कर लिया।

1990 बीजिंग : ग्यारहवें एशियाई खेलों का आयोजन 22 सितंबर से सात अक्टूबर 1990 के बीच चीन के बीजिंग में हुआ। चीन में बड़े पैमाने पर आयोजित हुआ ये पहला खेल आयोजन था। 37 देशों के कुल 6122 एथलीट उनमें शामिल हुए और 29 स्पर्धाएँ आयोजित हुईं। इन खेलों में सॉफ्टबॉल, सेपक टाकरॉ, वुशु, कबड्डी और कनूइंग पहली बार शामिल किए गए। कुवैत पर इराकी हमले में एशियाई ओलिम्पिक परिषद के प्रमुख शेख फहद अल-सबा भी मारे गए थे और ग्यारहवें एशियाड में यही चर्चा का बड़ा विषय था। इन खेलों में सात विश्व रिकॉर्ड और 89 एशियाई रिकॉर्ड टूटे।

1994 हिरोशिमा : बारहवें एशियाई खेल दो से 16 अक्टूबर 1994 के बीच जापान के हिरोशिमा में आयोजित हुए। इन खेलों का मुख्य संदेश एशियाई देशों में शांति और सौहार्द को बढ़ाना था। इस पर खासा जोर दिया गया क्योंकि 1945 में इस जगह पर पहला परमाणु बम गिराया गया था। पूर्व सोवियत संघ से स्वतंत्र हुए कजाखस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उजबेकिस्तान को इन खेलों में शामिल किया गया।

ये पहले एशियाई खेल थे जो किसी देश की राजधानी में आयोजित नहीं हुए थे। पहले खाड़ी युद्ध के बाद इराक को खेलों से निलंबित रखा गया था। 42 देशों के 6828 एथलीट ने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और कुल 34 स्पर्धाएँ आयोजित हुईं। बेसबॉल, कराटे और आधुनिक पेंटाथलन इन खेलों में शामिल हुए।

1998 बैंकॉक : तेरहवें एशियाई खेल छह से 20 दिसंबर 1998 के बीच बैंकॉक में आयोजित हुए। इन खेलों में कुल 41 देशों ने हिस्सा लिया। बैंकॉक ने इस तरह चौथी बार एशियाई खेलों का आयोजन किया। इससे पहले 1966 में ये खेल बैंकॉक को दिए गए थे जबकि 1970 और 1978 में उसे दूसरे देशों के आयोजन नहीं कर पाने की वजह से ये आयोजन करना पड़ा था। एक बार फिर थाईलैंड के नरेश भूमिबोल अदुल्यदेज ने इन खेलों का उद्‍घाटन किया।

2002 बुसान : चौदहवें एशियाई खेलों का आयोजन 29 सितंबर से 14 अक्टूबर 2002 के बीच दक्षिण कोरिया के बुसान में हुआ। 44 देशों के 6572 एथलीट्स ने इन खेलों में हिस्सा लिया। 38 खेलों में मुकाबले हुए जबकि 18 हजार पत्रकार, अधिकारी और एथलीट इसमें शामिल हुए। खेलों के इतिहास में पहली बार एशियाई ओलिम्पिक परिषद के सभी 44 सदस्य देश शामिल हुए। इनमें उत्तर कोरिया और अफगानिस्तान भी शामिल हुए।

2006 कतर : 15वें एशियाई खेल कतर के दोहा में एक से 15 दिसंबर 2006 के बीच आयोजित हुए। मध्य पूर्व क्षेत्र से दोहा दूसरा शहर बना जिसने एशियाड का आयोजन किया था। उससे पहले 1974 में तेहरान इन खेलों का आयोजन कर चुका था। 29 खेलों की 46 स्पर्धाएँ आयोजित हुईं। परिषद के सभी 45 देशों ने इन खेलों में हिस्सा लिया। खेलों के दौरान ही दक्षिण कोरियाई घुड़सवार किम ह्युंग चिल की मौत हो गई और उसकी खेलों के दौरान काफी चर्चा रही थी।
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मेजबान चीन े 16वें एशियाई खेलों में पहले दिन े ी अपनधमाकेदार प्रदर्शन े स्वर्ण पदकों ा शतक पूरा करके दूसरे देशों मीलों काफी पीछे छोड़ दिया है। पिछले एशियाई खेलों े ी पदक तालिका में शीर्ष स्थान र रहा ा र स बार ी ह इसपरंपरा ो कायम रखेगा। 

मेजबान चीन े खिलाड़ी र खेल में अपनी काबिलियत साबित करकअपने गले सोने े पदकों ो सजाने में लगे हुए हैं। 16वें एशियाई खेलों ी ताजा पदक तालिका इस प्रकार है-

देशस्वर्णरजतकाँस्यकुल
चीन19911998416
द.कोरिया766591232
जापान487494216
ईरान20142559
कजाकिस्तान18233879
भारत14173364
चीनी ताइपे13163867
उज्बेकिस्तान11222356
थाईलैंड1193252
मलेशिया9181441
हांगकांग8151740
उ. कोरिया6102036
सऊदी अरब53513
बहरिन5049
इंडोनेशिया491326
सिंगापुर47617
कुवैत46111
कतर45716

उद्योग जगत 2010 : कानूनी जंग का वर्ष


अंबानी बंधुओं और टाटा जैसे दिग्गज उद्योगपतियों की कानूनी लड़ाई वर्ष 2010 सुखिर्यों में रही। इसी दौरान नीरा राडिया टेलीफोन टैप कांड से सरकारी फैसलों में कार्पोरेट जगत की बढ़ती दखलंदाजी के कुछ नए पहलुओं पर से रहस्य का पर्दा हटा।

वर्ष के दौरान 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन प्रकरण में न केवल ए राजा को दूरसंचार मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा बल्कि देश की शीर्ष अदालत ने स्पेक्ट्रम आवंटन में अनियमितता पर कार्रवाई की माँग पर सुनवाई करते हुए प्रधानमंत्री कार्यालय से भी समय पर कार्रवाई न करने को लेकर जवाब तलब किया।

इस मामले में कई कंपनियाँ संदिग्ध गतिविधियों के कारण जाँच के दायरे में आई।

दूरसंचार घोटाला मामले की सुनवाई के दौरान कंपनियों के लिए लाबिंग का काम करने वाली नीरा राडिया और अन्य के बीच फोन पर हुई बातचीत के रिकॉर्ड सार्वजनिक हुए। इसके कारण टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा की बातचीत से संबंधित टैप के प्रकाशन पर रोक लगाने और लीक की जिम्मेदारी तय के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटकाया है।

टाटा का दावा है कि उनकी निजता के अधिकार का हनन हुआ है।

सरकार ने इस कदम को सही ठहराया और कहा कि आयकर महानिदेशालय (जाँच) का राडिया को निगरानी में रखने के आदेश के मद्देनजर उसकी बातचीत को टैप किया गया। निदेशालय को शिकायत मिली थी कि राडिया विदेशी खुफिया एजेंसियों की एजेंट है और देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं।

वित्त मंत्रालय को राडिया के खिलाफ 16 नवंबर 2007 को शिकायत मिली थी। उसमें आरोप लगाया गया था कि नौ साल की अवधि में उसने 300 करोड़ रुपए का व्यापार खड़ा कर लिया है। इस घटनाओं से राजनेताओं, नौकरशाहों, उद्योगपतियों और लाबिंग करने वालों के बीच साँठगाँठ का पर्दाफाश हुआ। मामले को देखते हुए न्यायालय ने 2जी स्पेक्ट्रम जाँच पर नजर रखने का फैसला किया और सीबीआई से 2001 से 2007 के बीच राजग और संप्रग दोनों सरकार के दौरान दिए गए लाइसेंस मामले की जांच करने को कहा है।

न्यायालय ने कहा कि पहली निगाह में विभिन्न फर्मों को 2जी स्पेक्ट्रम और लाइसेंस आवंटन में गंभीर अनियमितताएँ दिखती है और अधिकांश लाइसेंस अपात्र फर्मों को दिए गए। उल्लेखनीय है कि राजा ने विवादास्पद तरीके से विभिन्न फर्मों को 122 लाइसेंस आवंटित किए।

लत की जाँच के घरे में रहा वहीं ब्रिटेन की दूरसंचार कंपनी वोडाफोन को भी बंबई उच्च न्यायालय के उस फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाना पड़ा जिसमें कंपनी को कर के रूप में 11000 करोड़ रुपए आयकर विभाग को देने का निर्देश दिया गया था।

न्यायालय में जिन दूरसंचार कंपनियों के नाम आए उनमें रिलायंस कम्यूनिकशन की फ्रंट कंपनी बताई जा रही स्वान टेलीकॉम, एस्सार समूह के कथित नियंत्रण वाली लूप टेलीकाम, रीयल एस्टेट कंपनी यूनीटेक जैसे नाम प्रमुख है।

पुरानी दूरसंचार कंपनी वोडाफोन भी इस समय न्यायालय में है। आयकर विभाग ने 2007 में हचिसन-एस्सार के हिस्सेदारी के 11 अरब डालर में हिस्सेदारी खरीदते समय कर का भुगतान नहीं करने के आरोप में वोडाफोन को नोटिस दिया। वोडाफोन की दलील है कि हचिसन के साथ उसका सौदा भारतीय कर अधिकारियों के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।

इस मामले में उच्च न्यायालय का निर्णय आय कर विभाग के पक्ष में रहा। कंपनी उसके खिलाफ उच्चतम न्यायालय में गई है। शीर्ष अदालत ने वोडाफोन को झटका देते हुए कंपनी को सबसे पहले 2500 करोड़ रुपए जमा करने का निर्दश दिया। साथ ही 8500 करोड़ रुपए का बैंक गारंटी भी देने को कहा। फिलहाल यह मामला न्यायालय में चल रहा है।

पूरे वर्ष दुनिया भर में चमके भारतीय

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अमेरिका के राष्ट्रपति अगर अपने देश के बच्चों से कहें कि दिल लगाकर पढ़ो वर्ना भारतीय बच्चा तुमसे आगे निकल जाएगा तो किसी को भारतीय प्रतिभा पर संदेह करने की गुंजाइश बाकी नहीं रहती। इस वर्ष भी भारत में जन्मे लोगों ने दुनिया भर में अपने हुनर और प्रतिभा का लोहा मनवाया।

भारतीय मूल के अमेरिकी विधि विशेषज्ञ नील कुमार कात्याल अमेरिका के कार्यवाहक सॉलिसिटर जनरल के रूप में नियुक्त किए गए। अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय के लिए राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा निवर्तमान सॉलिसिटर जनरल एलेना कागन को नामित किए जाने के कारण खाली हुए इस पद पर नील कात्याल की कार्यवाहक सॉलिसिटर जनरल की नियुक्ति की गई। ज्ञात हो कि सॉलिसिटर जनरल अमेरिकी प्रशासन का सबसे बड़ा वकील होता है, जो सर्वोच्च न्यायालय में सरकार की तरफ से मुकदमे की पैरवी करता है।

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आठ जनवरी को वाशिंगटन में भारतीय मूल के अमेरिकी नागरिक राजीव शाह ने ‘यूएस एड फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट’ (यूएसएआईडी) के प्रशासक के तौर पर शपथ ली।

राजीव शाह किसी राष्ट्रपति के प्रशासन में इस सर्वोच्च रैंक वाले पद पर पहुँचाने वाले भारतीय मूल के व्यक्ति हैं। भारतीय मूल के इस 39 वर्षीय नागरिक को विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने यूएसएआईडी के अध्यक्ष पद की शपथ दिलाई।

इस पद पर शाह अमेरिका के विदेशी सहायता कार्यक्रम के तहत 40 अरब डॉलर की राशि का प्रबंधन संभाल रहे हैं और ओबामा प्रशासन की ओर से पाकिस्तान, अफगानिस्तान सहित अन्य देशों को असैन्य सहायता के प्रयासों की अगुवाई कर रहे हैं।

कुआलालंपुर में चार दिसंबर को भारत की निकोल फारिया ने ‘मिस अर्थ टैलेंट 2010' का खिताब जीता। फारिया ने वियतनाम के हो ची मिन्ह सिटी में आयोजित एक सौंदर्य प्रतियोगिता में 17 प्रतिभागियों को मात देकर ‘मिस अर्थ टैलेंट 2010’ का खिताब जीता।

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बेंगलूर की रहने वाली 20 साल की फारिया ने एक ऐसे शो में ‘मिस अर्थ टैलेंट 2010’ का ताज पहना जिसमें ओरिएंटल और पश्चिम एशियाई स्टाइल में बेली डाँस का आयोजन किया गया। भारतीय मूल के पत्रकार टुंकू वरदराजन को न्यूजवीक पत्रिका में बतौर अंतरराष्ट्रीय संपादक नियुक्त किया गया।

ब्रिटेन की प्रतिष्ठित पॉलिटिकल स्टडीज एसोसिएशन ने अनिवासी भारतीय शिक्षाविद्‍ लार्ड भीखू पारेख को ‘ग्रेट ब्रिटिश पॉलिटिकल फिलॉस्फर्स ऑफ द ट्वेंटीथ सेंचुरी’ के लिए चुना है। इसी के साथ 75 वर्षीय पारेख हारोल्ड लास्की, इसैया बर्लिन, आर.एच. ताहने और माइकल ओकेशोट जैसे दिग्गज दार्शनिकों की सूची में शामिल हो गए हैं। लार्ड पारेख को बहुसंस्कृति, पहचान एवं राजनीतिक दार्शनिक के अध्ययन के लिए जाना जाता है।

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पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह को इस साल दक्षिण एशियाई क्षेत्र में शांति के दूत सम्मान से नवाजा गया। लंदन स्थित संगठन पीस इंटरनेशनल ने दक्षिण एशिया में शांति बहाली के प्रयासों के तहत सिंह को यह सम्मान प्रदान किया।

जानी-मानी भारतीय समाज सेविका ईला रमेश भट्ट को इस साल के लिए जापान के प्रतिष्ठित निवानो शांति पुरस्कार के लिए चुना गया है। उन्हें भारत में गरीब महिलाओं के उत्थान में योगदान के लिए चुना गया है।

भट्ट महात्मा गाँधी की शिक्षाओं का पालन करने और विगत तीन दशकों से अधिक समय से भारत में दबी-कुचली तथा बिल्कुल गरीब महिलाओं के विकास के लिए काम करने के लिए जानी जाती हैं।

भट्ट ने 1972 में सेल्फ एम्प्लायड एसोसिएशन (सेवा) नाम की एक ट्रेड यूनियन स्थापित की। फिलहाल इसके सदस्यों की संख्या 12 लाख है। उन्होंने 1974 में सेवा सहकारी बैंक की स्थापना की। वह राज्यसभा सदस्य भी रह चुकी हैं। 

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ब्रिटेन स्थित लीसेस्टर के मिडलैंड कस्बे के निवासी भारतीय मूल के मधुमेह विशेषज्ञ कमलेश खुंटी को ब्रिटेन के सर्वाधिक प्रभावशाली चिकित्सकों में से एक का सम्मान दिया गया। एक प्रमुख साप्ताहिक मेडिकल प्रकाशन ‘पल्स’ में प्रकाशित एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में खुंटी को मौजूदा 20 सर्वश्रेष्ठ जनरल प्रेक्टीश्नर में शीर्ष स्थान पर रखा गया है।

कैंब्रिज विश्वविद्यालय में भारतीय मूल के प्रोफेसर शंकर बालासुब्रमण्यम को नॉन-क्लीनिकल लाइफ साइंसेज में अनुसंधान और प्रशिक्षण के लिए ब्रिटेन की प्रमुख वित्त एजेंसी ‘बायोटेक्नोलॉजी एंड बायोलॉजिकल साइंसेज रिसर्च काउंसिल’ की ओर से ‘इनोवेटर ऑफ दी ईयर’ पुरस्कार से नवाजा गया।

बालासुब्रमण्यम को यह पुरस्कार तेज गति की जीनोम सिक्वेंसिंग ‘सॉलेक्सा सिक्वेसिंग’ पर उनके काम के लिए दिया गया है। इस क्षेत्र में उनके योगदान के बाद अब 10,000 अमेरिकी डॉलर से भी कम में मानव जीनोम की सिक्वेंसिंग मुमकिन होगी।

ब्रिटेन में रह रही भारतीय वकील पवनी रेड्डी को वर्ष 2010 के लिए श्रेष्ठ एशियाई महिला का स्वर्ण पुरस्कार प्रदान किया गया। पवनी जईवाला एंड कंपनी की प्रबंध भागीदार हैं। वह उन चुनिंदा भारतीय वकीलों में से एक हैं जो इस क्षेत्र की सुखिर्यों में रहती हैं।

मंगलवार, 28 दिसंबर 2010

छत्तीसगढ़ 2010:रमन केबिनेट के यादगार फैसले

  छत्तीसगढ़ 2010:रमन केबिनेट के यादगार फैसले

मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रदेश की जनता के हित में कई अहम और यादगार निर्णय लिए गए:-
04 जनवरी 2010:-

  • विधानसभा के बजट सत्र के लिए महामहिम राज्यपाल के अभिभाषण का अनुमोदन।
  • धान की कस्टम मिलिंग दर में पांच रूपये का इजाफा। अब मिलिंग दर बढ़कर 40 रूपये प्रति क्विंटल हो गई है,मूल निवास प्रमाण पत्र हेतु पात्रता के मौजूदा प्रावधान में यह भी जोड़ा गया कि यदि आवेदक के माता.पिता में से एक के पास मूल निवासी प्रमाण पत्र हो अथवा वे इसकी पात्रता रखते हैं तो उसे प्रमाण पत्र जारी कर दिया जाएगा। 
  • माता-पिता के दिवंगत होने की स्थिति में यह देखा जाएगा कि क्या वे जीवित अवस्था में इस प्रमाण पत्र की पात्रता रखते थे।' 
  • मिलरों की मांग के मद्देनजर अरवा और उसना चावल की झड़ती दो-दो किलो कम करने की अनुशंसा केन्द्र सरकार से की गयी। 
  • अरवा की झड़ती 68 से घटाकर 66 किलो तथा उसना की झड़ती 67 से घटाकर 65 किलो करने की सिफारिश की गई। ' 
  • नक्सल हिंसा में शहीद विशेष सुरक्षा अधिकारी (एस.पी.ओ.) के परिजनों को मुफ्त में दीनदयाल और अटल आवास देने का निर्णय।

दिनांक 30 जनवरी 2010:- 

  • समर्थन मूल्य पर धान के नगद उपार्जन की समयावधि दिनांक 05 फरवरी 2010 तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया। ज्ञातव्य है कि राज्य शासन द्वारा वर्तमान खरीफ विपणन वर्ष 2009-2010 में समर्थन मूल्य पर धान के नगद उपार्जन की तिथि 12 अक्टूबर 2009 से 31 जनवरी 2010 तक तथा लिंकिंग के तहत दिनांक 15 फरवरी 2010 तक निर्धारित की गयी थी। ' दिनांक 28 जनवरी 2010 तक समस्त उपार्जन केन्द्रों में समर्थन मूल्य पर 36.38 लाख टन धान की खरीदी की जा चुकी है, जो विगत वर्ष 28 जनवरी 2009 की स्थिति में हुई धान खरीदी 32.51 लाख टन से लगभग 12 प्रतिशत अधिक है। 
  • 'प्रचलित मछली पालन नीति की कण्डिका क्रमांक 16 में संशोधन कर तालाबों व सिंचाई जलाशयों में लीज की समय.सीमा 5 वर्ष से बढ़ाकर 7 वर्ष करने का निर्णय लिया गया। 
  • 'मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम 2000 की धारा 68(2) के अन्तर्गत भारत सरकार द्वारा अधिकारियों-कर्मचारियों का दिनांक 01.11.2000 से उत्तारवर्ती राज्यों को अंतिम आवंटन किया गया है। ऐसे अधिकारी-कर्मचारी जिनके संबंध में न्यायालय से कोई भी स्थगन या अन्यथा आदेश नहीं है एवं जिनके संबंध में दोनों राज्य की सहमति से संविलियन/प्रतिनियुक्ति की कार्रवाई नहीं की गई है, उनके लिए दोनों राज्य अगर प्रतिनियुक्ति/संविलियन के लिए सहमत होते हैं, तो 31 मई 2010 तक प्रतिनियुक्ति/संविलियन अथवा अंतिम आवंटन की कार्रवाई कर ली जाए अन्यथा छत्ताीसगढ़ के ऐसे अधिकारियों/कर्मचारियों को मध्यप्रदेश द्वारा 31 मई 2010 तक यदि कार्यमुक्त नहीं किया जाता है, तो माना जायेगा कि मध्यप्रदेश सरकार ने उनका संविलियन मध्यप्रदेश में कर लिया है और 31 मई 2010 के बाद उन्हें छत्तााीसगढ़ में कार्यभार ग्रहण नहीं कराया जायेगा।

दिनांक 09 मार्च 2010:- 

  • औद्योगिक-वाणिज्यिक परियोजनाओं के भू-विस्थापितों के लिए मुआवजा राशि में भारी वृध्दि। 
  • 'मंत्रिपरिषद ने लिया आदर्श पुनर्वास नीति में संशोधन का निर्णय। इसके तहत मुआवजा राशि पड़त भूमि के लिए 50 हजार से बढ़कर छह लाख रूपए प्रति एकड़। 'एक फसली असिंचित भूमि के लिए 75 हजार से बढ़कर आठ लाख और दो फसली सिंचित भूमि के लिए एक लाख से बढ़कर दस लाख रूपए प्रति एकड़ होगी। 'छत्ताीसगढ़ में विभिन्न औद्योगिक और वाणिज्यिक परियोजनाओं के प्रभावित भू.विस्थापितों के लिए दी जाने वाली मुआवजे की राशि में वृध्दि करने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह की अध्यक्षता में आयोजित मंत्रिपरिषद की बैठक में इस प्रकार की परियोजनाओं में भूमिस्वामियों को उनकी जमीन का समुचित मूल्य दिलाने के उद्देश्य से यह निर्णय लिया गया है। संबंधित भूमिस्वामियों को अब तक मिल रही मुआवजे की राशि में मंत्रिपरिषद के इस फैसले के अनुरूप लगभग दस गुना से लेकर बारह गुना तक बढ़ोत्तारी। मंत्रिपरिषद ने इसके लिए राज्य की आदर्श पुनर्वास नीति की कंडिका 4.1.5 में संशोधन करने का निर्णय लिया। इस फैसले के अनुसार आदर्श पुनर्वास नीति में होने वाले संशोधन के फलस्वरूप भू-विस्थापितों को दो फसली सिंचित भूमि के लिए एक लाख रूपए प्रति एकड़ के स्थान पर दस लाख रूपए प्रति एकड़, एक फसली असिंचित भूमि के लिए 75 हजार रूपए प्रति एकड़ के स्थान पर आठ लाख रूपए प्रति एकड़ और पड़त भूमि के लिए अब 50 हजार रूपए प्रति एकड़ के स्थान पर छह लाख रूपए प्रति एकड़ की दर से मुआवजा मिलेगा। भूमिस्वामियों को अनिवार्य भू-अर्जन अथवा आपसी सहमति के माध्यम से क्रय की जाने वाली भूमि के बदले ये नवीन दरें प्राप्त होंगी। 
  • दिनांक 26 मई 2010:- 
  • नक्सल प्रभावित क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों विशेष रूप से विधायकों को जिला मुख्यालयों में शासकीय आवास देने का निर्णय। 
  • 'अन्तर्राष्ट्रीय बाजार में साल बीज की मांग और कीमत गिरने के कारण साल बीज का समर्थन मूल्य दस रूपए से घटाकर पांच रूपए प्रति किलो करने का निर्णय। पांच रूपए किलो खरीदी पर जो लाभ मिलेगा, उसका बोनस संग्राहकों को दिया जाएगा। 
  • 'जल संवर्धन के संबंध में जन-जागृति लाने विशेष अभियान चलाने का निर्णय।

दिनांक 21 जून 2010:- 

  • छत्ताीसगढ़ में निजी मेडिकल कॉलेज खोलने अलग से नीति बनेगी। 'जगदलपुर मेडिकल कॉलेज में प्राध्यापकों की कमी को पूरा करने के लिए प्रमोशन के पदों पर सीधी भर्ती की जाएगी। सहायक प्राध्यापकों के पद भी भरे जाएंगे। प्रदेश स्तर के तबादले मुख्यमंत्री के समन्वय से ही हो सकेंगे। 
  • 'राज्य में त्वरित चिकित्सा सेवा के लिए आंध्रप्रदेश के जीवीके समूह को डायल 108 एम्बुलेंस सेवा शुरू करने की मंजूरी। 
  • प्रदेश में इमरजेंसी मेडिकल रिसपांस सर्विस दो चरणों में लागू की जाएगी। 
  • पहले चरण में 50 एम्बुलेंस और दूसरे चरण में 122 एम्बुलेंस शुरू की जाएगी।

दिनांक 21 जुलाई 2010:- 

  • नया रायपुर में हैदराबाद की तर्ज पर छत्ताीसगढ़ निर्माण अकादमी की स्थापना की जाएगी। इसमें निर्माण कार्यों के प्रशिक्षण के अलावा डिग्री और डिप्लोमा कोर्स शुरू किए जाएंगे। 'छत्ताीसगढ़ में अब निजी अस्पताल, नर्सिंग होम, क्लिनिक और पैथालाजी लैब खोलने के लिए लाइसेंस अनिवार्य। इसके लिए छत्ताीसगढ़ उपचर्या गृह तथा रोगोपचार संबंधी स्थापना अनुज्ञापन विधेयक 2010 आगामी विधानसभा सत्र में लाया जाएगा। 
  • 'प्रदेश में अवैध निर्माण्ा पर रोक लगाने विधानसभा के अगले सत्र में नए कानून को मंजूरी दी जाएगी।
  •  अवैध निर्माण पर लगाने वाला अर्थदंड 500 रूपए से बढ़ाकर दस हजार रूपए कर दिया गया है। अवैध निर्माण हटाने के लिए पहले तीन सप्ताह पूर्व नोटिस देने का प्रावधान था। अब इसमें एक सप्ताह पहले नोटिस देने का प्रावधान किया जा रहा है।

दिनांक 12 अगस्त 2010:-

  •  लेह (लद्दाख) की प्राकृतिक विपदा में मारे गए छत्ताीसगढ़ के मजदूरों के आश्रित परिवारों में से प्रत्येक को प्रति एक लाख रूपए मुआवजा राशि दी जाएगी। घायल व्यक्तियों के नि:शुल्क इलाज की व्यवस्था राज्य शासन द्वारा की जा रही है और प्रभावित व्यक्तियों को लाने के लिए राज्य के अधिकारियों का एक दल लेह भेजा गया है, जिससे प्रभावित परिवारों को तात्कालिक सहायता आवश्यकता के अनुरूप दी जा सके।
  •  'छत्ताीसगढ़ में नये एलोपैथिक चिकित्सा महाविद्यालयों की स्थापना के लिए निजी क्षेत्र के निवेश को प्रोत्साहन देने की नीति का अनुमोदन किया गया। इसी प्रकार सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों के लिए और छोटे शहरों एवं विकासखण्ड मुख्यालयों पर नर्सिंग होम चिकित्सालयों की स्थापना के लिए भी निजी क्षेत्र के निवेश के प्रोत्साहन देने की नीति का अनुमोदन किया गया। राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों को इलाज के लिए दूर-दराज न जाना पड़े, इस उद्देश्य से यह नीति बनायी गयी है। 
  • निजी क्षेत्र के चिकित्सा महाविद्यालयों को भारतीय चिकित्सा परिषद के प्रावधानों के अनुसार एक रूपए टोकन राशि पर भूमि उपलब्ध करायी जाएगी। सुपर स्पेशियलिटी अस्पतालों के लिए शहरी क्षेत्रों में दो एकड़ तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पांच एकड़ भूमि एक रूपए टोकन राशि पर दी जाएगी। आदिवासी विकासखण्डों में अस्पतालों के लिए 22,500 वर्गफुट (आधा एकड़) भूमि एक रूपए टोकन राशि पर दी जाएगी। ये सभी अस्पताल शासकीय सेवकों के इलाज के लिए मान्यता प्राप्त होंगे और इनमें गरीबों का नि:शुल्क इलाज किया जाएगा। 
  • 'मुख्य वन संरक्षकों के 04 पदों का उन्नयन अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद पर किए जाने का निर्णय लिया गया।

दिनांक 14 सितम्बर 2010:- 

  • राज्य सरकार ने केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित जीएसटी के मौजूदा स्वरूप से असहमति व्यक्त करते हुए इसमें अपना पक्ष रखने का निर्णय। 
  • 'वन्य प्राणियों के हमलों में होने वाले नुकसान से मुआवजे की राशि में वृध्दि करने का निर्णय लिया गया। इसके तहत हाथी अथवा जंगली जानवरों के हमले में व्यक्ति की मृत्यु हो जाने पर मुआवजा अब 1.50 लाख रूपए के बजाय 02 लाख रूपए दिया जाएगा। 
  • स्थायी अपंगता होने पर 50 हजार रूपए के स्थान पर 75 हजार रूपए, घायल होने पर 10 हजार के स्थान पर 20 हजार रूपए तथा पशुहानि होने पर अधिकतम 15 हजार रूपए का मुआवजा दिया जाएगा।

दिनांक 11 अक्टूबर 2010 :- 

  • राज्य में एक नवम्बर 2010 से 31 जनवरी 2011 तक किसानों से समर्थन मूल्य पर सहकारी समितियों में धान खरीदी होगी। 
  • लिकिंग में धान खरीदी 15 फरवरी तक होगी। इस वर्ष 50 लाख मीटरिक टन धान खरीदी का अनुमानित लक्ष्य। इस पर पांच हजार करोड़ रूपए खर्च होने का अनुमान है।
  • धान खरीदी के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य ग्रेड ए और मोटा किस्म के लिए क्रमश: 1030 और 1000 रूपए प्रति क्विंटल  तय किया गया है। पिछले वर्ष यह मूल्य क्रमश: 980 रूपए और 950 रूपए प्रति क्विंटल था। 
  • छत्ताीसगढ़ की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए 12 लाख टन धान रखा जाएगा। 
  • दस लाख टन केन्द्र सरकार के लिए और शेष एफ.सी.आई. को दिया जाएगा। 
  • बारदाने डी जी एस एंड डी के जरिए खरीदे जाएंगे। प्रत्येक खरीदी केन्द्र की पहचान स्पष्ट करने के लिए बोरों पर खरीदी केन्द्र का नाम, नम्बर और धान की क्वालिटी का उल्लेख किया जाएगा। गैर आदिवासी क्षेत्रों के धान खरीदी केन्द्रों में आर्द्रता मापी उपकरण स्थापित किए जाएंगे।
  • 'राज्य की 1333 प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों के 1577 धान खरीदी केन्द्रों के प्रशासनिक व्यय में वृध्दि का निर्णय।
  • कर्मचारियों के मोबाइल खर्च, मोटर साइकल, कम्प्यूटर और बीमा आदि पर होने वाले 0.2 प्रतिशत व्यय को बढ़ाकर 0.4 प्रतिशत किया गया। इस वर्ष इस  पर 18 करोड़ रूपए खर्च होने का अनुमान। '
  • कस्टम मिलिंग की दर 40 रूपए प्रति क्विंटल यथावत  रखने का निर्णय। एक बार उपयोग किए गए बोरे पर मिलर्स की 14 रूपए प्रति बोरा दिया जाएगा। 'आगामी रबी मौसम के लिए बांधों से पानी छोड़ने का फैसला। प्राथमिकता के आधार पर दलहन, तिलहन और गेहूं की फसलों के लिए पानी देने का निर्णय। राज्य शासन द्वारा ग्रीष्मकालीन धान का उपार्जन नहीं किया जाएगा।  
  • 'छह माह से कम अवधि जेल में रहने वाले मीसा बंदियों को सम्मान निधि पेंशन देने के प्रस्ताव को हरी झंडी। जिले के प्रभारी मंत्री के प्रस्ताव पर जिला कलेक्टर परीक्षण कर अनुशंसा करेंगे। राज्य सरकार द्वारा एक माह से छह माह तक के बंदियों में तीन हजार और छह माह से अधिक के बंदियों को छह हजार रूपए सम्मान निधि दी जा रही है। 
  • 'पटवारियों, राजस्व निरीक्षकों और लिपिकों को नायब तहसीलदार के पद पर पदोन्नति हेतु आयु सीमा में छूट देने का निर्णय। अनारक्षित पदों के लिए आयु सीमा 45 वर्ष से बढ़ाकर 49 वर्ष और आरक्षित वर्ग के लिए 50 वर्ष से बढ़ाकर 55 वर्ष करने का निर्णय।

दिनांक 08 नवम्बर 2010 :- 

  • छत्ताीसगढ़ जिला योजना समिति संशोधन विधेयक 2010 की अनुसूची में नारायणपुर तथा बीजापुर जिला तथा इन जिलों में सदस्य संख्या 10-10 शामिल किए जाएंगे। '
  • अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक वर्ग के आर्थिक विकास हेतु छत्ताीसगढ़ राज्य अंत्यावसायी सहकारी वित्ता एवं विकास निगम की कार्य योजना हेतु राष्ट्रीय निगमों के लिए वित्ताीय वर्ष 2010-11 में वित्ता विभाग द्वारा उपबंधित प्रत्याभूति शुल्क के बिना रूपए 20 करोड़ की स्टेट ब्लॉक गांरटी प्रदान की जाए। 
  • 'छत्ताीसगढ़ लोक सेवा आयोग की चौथे  सदस्य पद पर नियुक्ति के लिए श्री रमेशचन्द्र शर्मा सेवानिवृत्ता आई.पी.एस. के नाम का अनुमोदन किया गया। आयोग में वर्तमान में श्री बी.एल.ठाकुर अध्यक्ष, श्री दुर्गाशरण चंद्रा सदस्य, श्री प्रदीप कुमार देशपांडे सदस्य तथा श्री इतवारी राम खूंटे सदस्य हैं। 
  • प्रदेश के किसानों को कृषि ऋण वितरण हेतु कृषकों के सहकारी ऋणों पर ब्याज अनुदान नियम 2010 वर्ष 2010-11 एवं पश्चतावर्ती वर्षों में दिनांक 01.04.2010 से लागू किए जाने का अनुमोदन किया गया।

दिनांक 30 नवम्बर 2010 :-

  • मंडी चुनावों को लेकर कृषि उपज मंडी एवं साहूकारी प्रथा अधिनियम संशोधन विधेयक को मंजूरी। 
  • 'मार्कफेड को बारदाना खरीदी के लिए एक सौ करोड रूपए देने का निर्णय। 
  • 'छत्ताीसगढ़ राज्य ग्रामीण विकास संस्थान निमोरा के संचालन के लिए स्वायत्ता निकाय का गठन करने का निर्णय। 
  • 'गन्ना उत्पादकों को 35 रूपए प्रति क्विंटल बोनस देने का निर्णय। गन्ना 186 रूपए प्रतिक्विंटल की दर से खरीदा जाएगा। इसमें तेरह रूपए परिवहन भत्ताा भी शामिल है। 'नक्सल प्रभावित इलाकों में मंजूर एस.पी.ओ. के तीन हजार से अधिक पद जल्द भरने का निर्णय।
  •  द्वितीय अनुपूरक बजट को मंजूरी। विधानसभा के शीतकालीन सत्र में प्रस्तुत करने का निर्णय। शीत सत्र (06 दिसम्बर से 10 दिसम्बर 2010) मेंइसके पारित होने पर राज्य सरकार चालू वित्तीय वर्ष 2010-11 का बजट हुआ 28 हजार करोड़ रूपए से अधिक।